होलंबी कलां के ई-वेस्ट प्लांट की क्षमता होगी दोगुनी, पर्यावरण मंत्री के विदेश दौरे के बाद नार्वे मॉडल का बनेगा
दिल्ली के होलंबी कलां में भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क बनेगा। इसकी क्षमता 51000 से बढ़ाकर 110000 मीट्रिक टन करने पर विचार चल रहा है। यह प्लांट ग्लोबल ज़ीरो-वेस्ट सिद्धांत पर आधारित होगा जिससे प्रदूषण नहीं होगा। रेवैक प्लांट की तरह यहां से रीसाइकल मटेरियल निर्यात भी किया जाएगा। दिल्ली सरकार थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग करवाएगी।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क, जो होलंबी कलां में बनाया जाएगा, की क्षमता बढ़ाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। पहले इसे 150 करोड़ रुपये की लागत से 51,000 मीट्रिक टन सालाना क्षमता के साथ बनाना तय था, लेकिन पर्यावरण मंत्री के नार्वे दौरे एवं रेवैक प्लांट के अध्ययन के बाद इसकी क्षमता दोगुनी (लगभग 1,10,000 मीट्रिक टन) करने पर विचार किया जा रहा है।
पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह नया प्लांट ग्लोबल ज़ीरो-वेस्ट सिद्धांत पर आधारित होगा। इसमें कोई प्रदूषण, रेडिएशन अथवा बिना ट्रीटमेंट का डिस्चार्ज नहीं होगा। हर प्रकार के मटेरियल और क़ीमती मेटल्स की पूरी रिकवरी कर सर्कुलर इकोनामी को बढ़ावा दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि रेवैक प्लांट 1,10,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और सालाना लगभग 1,10,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट प्रोसेस करता है। खास बात यह कि यहां से तैयार रीसाइकल मटेरियल भारत में भी निर्यात किया जाता है।
एक और अहम बात यह कि ई-वेस्ट प्रोसेसिंग के दौरान एक मज़बूत निरीक्षण व्यवस्था जरूरी है। नार्वे में यह काम नोन-प्रॉफ़िट संगठनों द्वारा किया जाता है, जबकि दिल्ली सरकार अब एक विशेषज्ञ एजेंसी से थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग करवाने की योजना बना रही है।
दौरे से यह भी साफ हुआ कि ई-वेस्ट प्लांट से प्रदूषण या रेडिएशन जैसी चिंताएं गलतफहमी हैं। नार्वे प्लांट में पूरे फर्श को कंक्रीट किया गया है, पानी को उसी टैंक में शुद्ध कर दोबारा इस्तेमाल किया जाता है और अत्याधुनिक स्क्रबर लगाए गए हैं। यहां कचरा जलाया भी नहीं जाता, बल्कि मशीनों से कीमती मटेरियल जैसे एल्युमिनियम, लोहा और आरडीएफ अलग किया जाता है। यही माडल अब होलंबी कलां प्लांट में भी अपनाया जाएगा।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, होलंबी कलां का ई-वेस्ट इको पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर बनाया जाएगा। दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन (डीएसआइआइडीसी) इसे संचालित करेगा। यह ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 के तहत कई श्रेणियों के ई-वेस्ट को प्रोसेस करेगा, जिससे 500 करोड़ से अधिक का राजस्व, बड़ी संख्या में हरित रोजगार और असंगठित व खतरनाक ई-वेस्ट सेक्टर की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकेगी।
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