अब मॉनसून में नहीं डूबेगी दिल्ली, नए मास्टर ड्रेनेज प्लान पर 57,000 करोड़ होंगे खर्च; पांच फेज में होगा काम
दिल्ली सरकार का नया ड्रेनेज मास्टर प्लान जारी जो पुरानी योजना से दोगुना वर्षाजल प्रबंधित करेगा। 57000 करोड़ की लागत वाली इस योजना में दिल्ली को तीन भागों में बांटकर जल निकासी सुधारी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार को मदद का भरोसा दिया। पिछला प्लान 1976 में बना था वर्तमान आबादी और वर्षा को देखते हुए यह नया प्लान जरूरी है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में जलभराव की समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार द्वारा तैयार किया गया नया ड्रेनेज मास्टर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को जारी किया। यह ड्रेनेज प्लान वर्तमान प्लान की अपेक्षा दोगुने से अधिक वर्षाजल का प्रबंधन कर सकेगा।
वर्ष 1976 के बाद अब नया प्लान तैयार किया गया है। नए प्लान में प्रति घंटे 70 एमएम तक वर्षा तक जल निकासी की व्यवस्था होगी। वर्तमान समय में 30-से 35 एमएम तक वर्षा की जल निकासी होती है। दिल्ली को नजफगढ़, बारापुला और यमुनापार तीन भागों में विभाजित कर ड्रेनेज प्रणाली को बेहतर किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली को तीन भागों में बांटकर तैयार की गईं रिपोर्ट को एनडीएमसी कंवेन्शन सेंटर में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की उपस्थिति में जारी किया।
इसे अगले 30 वर्षों में शहर की जल निकासी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लिहाज से तैयार किया गया है। केंद्रीय मंत्री मनाेहन लाल ने जल निकासी मास्टर प्लान को लागू करने में राज्य सरकार की मदद करने का भरोसा दिया है।
इस योजना में शहर को तीन बेसिनों नजफगढ़ बेसिन, बारापुला बेसिन और ट्रांस-यमुना बेसिन में विभाजित किया गया है। जिसकी अनुमानित लागत 57,000 करोड़ रुपये है। बता दें कि दिल्ली देश की राजधानी है, लेकिन हर मानसून की वर्षा में यहां कई सड़कें ताल-तलैया बनी नजर आती हैं।
इसकी प्रमुख वजह नाले-नालियों से पानी की पर्याप्त निकासी नहीं होना है। दिल्ली में पिछला ड्रेनेज मास्टर प्लान 49 साल पहले 1976 में बनाया गया था। उस समय दिल्ली की आबादी महज 60 लाख थी, उस वक्त 30-35 मिलीमीटर प्रति घंटे की वर्षा के हिसाब से ड्रेनेज मास्टर प्लान बना था।
दिल्ली की आबादी अब कई गुना बढ़ चुकी है, जो इस समय ढाई करोड़ के आसपास मानी जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग और अन्य वजहों से वर्षा भी ज्यादा हो रही। ऐसे में उसी हिसाब से आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा।
जलभराव से बचाने के लिए ड्रेनेज मास्टर प्लान पर पांच फेज में काम चलेगा। इस मास्टर प्लान में दिल्ली के प्रमुख नालों पर मोटी रकम खर्च होगी। इसमें से नजफगढ नाले के लिए 35 हजार करोड़, बारापुला नाले पर 14 हज़ार करोड़ और शाहदरा ड्रेन पर नौ हजार करोड़ का खर्च आएगा।
ड्रेनेज प्लान को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने तैयार किया है, इसके मसौदा को तैयार करने में चार साल का समय लगा है।
आठ एजेंसियों के परामर्श से इस योजना को तैयार किया है, जिसमें सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, एमसीडी, डीडीए, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, दिल्ली जल बाेर्ड और एनडीएमसी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि ड्रेनेज मास्टर प्लान जलजमाव के कारणों, वर्षा पैटर्न और बाधाओं की पहचान करने के लिए विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन और क्रियान्वयन योग्य सिफारिशें शामिल हैं।
विशेष रूप से, व्यापक स्थलाकृति और क्षेत्र सर्वेक्षण किए गए हैं, जिसमें पाइपलाइन, ड्रेन और सड़क स्तर को मैप किया गया है ताकि वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की वृद्धि दोनों को ध्यान में रखते हुए सटीक इंजीनियरिंग समाधान तैयार किए जा सकें।
कार्यान्वयन के लिए शहर को जिन तीन प्रमुख बेसिनों नजफगढ़, बालापुला और ट्रांस यमुना में विभाजित किया गया है। पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा है कि जैसे ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को सरकार द्वारा मंजूरी दी जाएगी।
पीडब्ल्यूडी निजी फर्मों से टेंडर आमंत्रित करेगा और इस योजना को दिल्ली की ड्रेनेज आवश्यकताओं के लिए दीर्घकालिक समाधान में बदल दिया जाएगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस ड्रेनेज मास्टर प्लान से दिल्ली को जलभराव से मुक्ति मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली की पिछली सरकार पर स्वच्छता अभियान के फंड के इस्तेमाल में लापरवाही का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली की पिछली सरकार ने स्वच्छता अभियान के 1,100 करोड़ के फंड का उपयोग ही नहीं किया।
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