Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगले 30 साल तक दिल्ली की सड़कों पर नहीं भरेगा बारिश का पानी... Rekha Gupta सरकार तीन प्लान पर करेगी काम

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 09:04 PM (IST)

    लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने दिल्ली के लिए एक नए जल निकासी मास्टर प्लान का मसौदा तैयार किया है जिसका उद्देश्य अगले 30 वर्षों में जलभराव की समस्या को कम करना है। इस योजना में तीन विकल्प प्रस्तावित हैं जिनमें बिना तोड़फोड़ आंशिक तोड़फोड़ और व्यापक तोड़फोड़ शामिल हैं। सरकार को जल्द ही इस पर निर्णय लेना है जिसमें 50 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।

    Hero Image
    दिल्ली की जलभराव से निजात दिलाने के लिए मसौदा तैयार।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने नए जल निकासी मास्टर प्लान (Drainage Master Plan) का मसौदा तैयार कर लिया है। पीडब्ल्यूडी ने पिछले सप्ताह मसौदा रिपोर्ट सरकार काे सौंप दी है।

    अगले 30 साल के लिए जलभराव की समस्या दूर करने के लिहाज से प्लान तैयार किया जा रहा है। इसका लक्ष्य तेजी से बढ़ते शहरीकरण और बार-बार होने वाली जलभराव की समस्याओं के बीच वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की जरूरतों का समाधान करना है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मसौदा रिपोर्ट में तीन तरह के प्लान सुझाए गए हैं। पहला प्लान है कि बगैर तोड़फोड़ के वर्तमान स्थिति के आधार पर ड्रेनेज प्लान को लागू किया जाए, दूसरे प्लान में कुछ तोड़फाेड़ की बात है और तीसरे प्लान में बड़े स्तर पर तोड़फाेड़ की जरूरत पड़ेगी।

    खासकर अनधिकृत नियमित और नियमित काॅलोनियों में अधिक तोड़फोड़ की बात कही गई है। अब यह सरकार पर निर्भर करेगा कि सरकार कौन सा प्लान मानती है या उसमें बदलाव के लिए कहती है। सूत्रों की मानें ताे सरकार इस मामले में जल्द घोषणा कर सकती है।

    माना जा रहा है कि दिल्ली भर के लिए प्लान लागू होने पर 50 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो सकती है। इसमें सभी निकायों को अपने अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभानी होेगी।

    पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमें सभी सलाहकारों से व्यापक रिपोर्ट मिल गई है और हमने मास्टर प्लान का संकलित मसौदा सरकार को सौंप दिया है।

    अंतिम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सभी संबंधित निकायों से प्राप्त प्रतिक्रिया को एकीकृत करने के बाद तैयार की जाएगी।

    अधिकारियों के अनुसार प्रस्तावित योजना की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए कम से कम तीन उच्चस्तरीय प्रस्तुतियां दी गई हैं तथा वर्तमान में अंतर-विभागीय परामर्श चल रहा है। दिल्ली के लिए इससे पहले व्यापक जल निकासी मास्टर प्लान 1976 में तैयार किया गया था।

    अधिकारियों का कहना है शहरीकरण तेजी से बढ़ने के कारण एक नयी रणनीति की जरूरत है। लोक निर्माण विभाग ने शहर को तीन बेसिन- नजफगढ़, बारापुला और ट्रांस-यमुना बेसिन- में विभाजित किया है और जल निकासी नेटवर्क को फिर से तैयार करने के लिए सलाहकारों को नियुक्त किया है।

    अधिकारी ने कहा कि ‘विशेष सलाहकारों ने जल निकासी दक्षता में सुधार के लिए ढलानों, गड्ढों और मौजूदा पुराने व अपर्याप्त बुनियादी ढांचे जैसे कारकों का विश्लेषण किया है। उन्होंने बताया कि अन्य नगर निकायों ने कुछ सुझाव दिए हैं, उनका अध्ययन किया जा रहा है।

    राष्ट्रीय राजधानी में आठ विभिन्न बड़े नालों के तहत कुल लंबाई 3740.31 किलोमीटर है। अधिकारियों ने बताया कि सरकार द्वारा डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद एजेंसी जमीनी स्तर पर काम करने के लिए निजी कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।

    अनियमित काॅलोनियों में व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम नहीं

    दिल्ली एक ऐसा शहर है जो 65 प्रतिशत तक अनियोजित तरीके से बसा है। जहां सुनियोजित तरीके से ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है। यहां 1700 अनियमित काॅलोनियां हैं, जहां ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है।

    गलियों में नालियां अवश्य हैं, लेकिन ये भी आगे जाकर सीवरेज सिस्टम में मिल जाती हैं। चांदनी चौक, नई सड़क, सदर, दयाबस्ती, सब्जी मंडी, शकूरबस्ती जैसे तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां सालों पुराना ड्रेनेज सिस्टम काम कर रहा है।

    यह भी पढ़ें- अब दिल्ली के इस अस्पताल के डाॅक्टरों पर हुआ हमला... विरोध में सात घंटे ठप रही ओपीडी, मरीजों ने भुगता खामियाजा