दिल्ली की इन तीन चुनौतियों से निपटने को सरकार ने बनाया प्लान, इंडस्ट्रीज और काॅरपोरेट को साथ लेकर होगा काम
दिल्ली सरकार यमुना के प्रदूषण कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए कॉरपोरेट जगत के साथ मिलकर काम करेगी। मुख्यमंत्री ने सीएसआर कोष स्थापित करने का सुझाव दिया। उपराज्यपाल ने इन समस्याओं को दिल्ली की मुख्य चुनौतियां बताया। सरकार यमुना की सफाई के लिए प्रतिबद्ध है और उद्योग जगत से सहयोग की अपेक्षा करती है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार दिल्ली की तीन बड़ी चुनौतियों यमुना प्रदूषण, कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण को प्रभावी रूप से खत्म करने के लिए उद्योग व काॅरपोरेट जगत को साथ लाएगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यमुना नदी के पुनरुद्धार, वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने और शहर में कूड़े के पहाड़ों को हटाने के लिए काॅरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) समर्थित एक कोष स्थापित करने का सुझाव दिया।
इस मामले को लेकर सोमवार को राजनिवास में ‘यमुना और दिल्ली का पुनर्जीवन-एक सीएसआर संवाद’ का आयोजन किया गया। उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री व जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने इसकी अध्यक्षता की।
संवाद में सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अतिरिक्त शीर्ष उद्योग संघों के प्रतिनिधि, भारतीय उद्योग, कॉरपोरेट जगत, सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमुख भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि यमुना नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाना हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है। उद्योग जगत से अपील की गई कि नालों को गोद लें और उनके किनारे छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाएं।
इससे यमुना में जाने वाले प्रदूषण को काफी हद तक रोका जा सकेगा। संवाद में उपराज्यपाल ने कहा कि नई सरकार को विरासत में मिली तीन बड़ी समस्याएं यमुना नदी का प्रदूषण, ठोस कचरे के पहाड़ और वायु प्रदूषण दिल्ली की मुख्य चुनौतियां हैं।
जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी दिलाई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार इन समस्याओं के समाधान के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि इस दिशा में प्रयास तभी सफल होंगे।
जब समाज के हर वर्ग और विशेषकर कॉरपोरेट क्षेत्र सीएसआर के माध्यम से अपनी भूमिका निभाएं। संवाद में मुख्यमंत्री ने भी विरासत में मिली तीन समस्याओं का उल्लेख किया।
कहा कि समस्याओं से निपटने के लिए उद्योग जगत से अपेक्षित सहयोग मुख्य रूप से सीवेज ट्रीटमेंट की तकनीक एवं प्रौद्योगिकी और ऐसी कार्य संस्कृति का विकास है।
जिससे यमुना नदी का प्रदूषण स्थायी रूप से समाप्त हो सकता है। संवाद में जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि चाहे कार्य कितना भी कठिन क्यों न हो, सरकार निर्धारित समय सीमा के भीतर यमुना की सफाई सुनिश्चित करेगी।
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