बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर के तीसरे चरण को मिली मंजूरी, दिल्ली सरकार का दावा- एक वर्ष में शुरू हो जाएगा मार्ग
दिल्ली में बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर के तीसरे चरण को सीईसी से हरी झंडी मिल गई है। इस परियोजना के पूरा होने से मेरठ एक्सप्रेस-वे रिंग रोड और डीएनडी फ्लाईवे पर यातायात का दबाव कम होगा। परियोजना के चलते काटे जाने वाले पेड़ों में से कई को बचाने का प्रयास किया गया है जिसके अंतर्गत कुछ पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाएगा। पीडब्ल्यूडी मंत्री ने जल्द काम पूरा करने की बात कही।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्षों से लटकी बारापुला फेस-तीन एलिवेटेड काॅरिडोर परियोजना में हरे पेड़ों को लेकर आ रही बड़ी बाधा दूर हो गई है। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड काॅरिडोर के लिए पेड़ संबंधी अंतिम मंजूरी प्रदान कर दी है।
इससे लगभग एक दशक से रुकी हुई इस महत्वपूर्ण परियोजना को नई गति मिलने जा रही है। सीईसी के निर्देशों के अनुरूप पेड़ों का संयुक्त पुनः सर्वेक्षण किया गया है।
जिसमें पीडब्ल्यूडी और वन विभाग ने जियो-लोकेशन, पेड़ों की प्रजाति और उनकी मोटाई संबंधी डेटा इकट्ठा कर योजना में संशोधन किया, ताकि अधिक से अधिक पेड़ संरक्षित किए जा सकें।
इसके तहत 333 में से 161 पेड़ कटने या स्थानांतरित होने से बचा लिए गए हैं, और केवल 85 पेड़ ही काटे जाएंगे, ये वे पेड़ हैं जो सूखने के कगार पर हैं। जबकि 87 पेड़ प्रत्यारोपित किए जाएंगे।
बारापुला के नाम से सराय काले खां से एम्स तक फेज-एक और दो को कुल लंबाई में पौने सात किलोमीटर तक कई साल पहले तैयार किया जा चुका है। फेज-तीन के तहत इस परियोजना के तहत सराय काले खां से मयूर विहार तक करीब साढ़े तीन किलोमीटर बनाने का काम किया जा रहा है।
इसे 2014 में स्वीकृति मिली थी और अप्रैल 2015 में निर्माण कार्य आरंभ हुआ था। शुरुआती अनुमानित लागत 964 करोड़ थी, जो अब बढ़कर लगभग 1,330 करोड़ हो गई है।
परियोजना पर 90 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। इस परियोजना के लिए जमीन से जुड़े सभी मामले हल हो चुके हैं, इस परियोजना के बीच आ रहे हरे पेड़ ही एक बड़ी अड़चन रहे हैं।
सीईसी द्वारा दी गई मंजूरी के तहत पेड़ों की जिम्मेदारी वन विभाग के दो डिवीजन के तहत दी गई है। सेंट्रल फॉरेस्ट डिवीजन के तहत कुल 155 पेड़ आ रहे हैं। इसमें 10 पेड़ सूखने के कगार पर हैं, जिन्हें काटा जाएगा, 34 प्रत्यारोपित होंगे, 111 संरक्षित किए जाएंगे, यानी इन्हें नहीं हटाया जाएगा।
इसमें से 107 में हल्की छंटाई की जाएगी। इसी तरह साउथ फॉरेस्ट डिवीजन के तहत कुल 178 पेड़ आ रहे हैं। इनमें से 75 सूखने के कगार पर हैं जो काटने योग्य हैं। 53 प्रत्यारोपित होंगे और 50 संरक्षित किए जाएंगे,इन पेड़ाें को नहीं काटा जाएगा। । इनमें से 13 में हल्की छंटाई की जाएगी।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
- कुल लंबाई: 3.5 किलोमीटर
- संरचना: पियर-सपोर्टेड एलिवेटेड स्ट्रक्चर व एक्स्ट्राडोस्ड ब्रिज, ताकि यमुना के सक्रिय प्रवाह क्षेत्र में पियर्स की संख्या न्यूनतम रहे
- लेन: प्रत्येक दिशा में तीन हैं
- लूप: कुल 8 (सराय काले खां और मयूर विहार में 4-4)
- गैर-मोटराइज्ड ढांचा: साइकिल ट्रैक और फुटपाथ
- लाभ एनएच-24, डीएनडी फ्लाईवे और रिंग रोड पर जाम में कमी होगी,
- पर्यावरणीय प्रभाव: लगभग 2 टन प्रतिदिन सीओ-दो उत्सर्जन में कमी आएगी
कार्य संभालने के बाद से ही मेरा ध्यान इस मंजूरी को हासिल करने पर केंद्रित रहा ताकि दिल्लीवासियों को आवश्यक यातायात राहत मिल सके। संयुक्त सर्वेक्षण और साइट विजिट के दौरान सीईसी और वन विभाग द्वारा सकारात्मक रुख अपनाया गया है।
छंटाई व प्रत्यारोपण के जरिए अधिकतम पेड़ों को बचाने का प्रयास किया है। इस मंजूरी के साथ अब हम शेष कार्य तेजी से पूरा करेंगे। पीडब्ल्यूडी अब तुरंत वन विभाग की देखरेख में पेड़ों की छंटाई और प्रत्यारोपण कार्य प्रारंभ करेगा।
परियोजना की प्रगति से संबंधित नियमित अपडेट जारी किए जाएंगे, ताकि दिल्ली धीरे-धीरे एक स्वच्छ, सुरक्षित और सुगम शहरी यातायात व्यवस्था की ओर आगे बढ़ सके।
- प्रवेश वर्मा, पीडब्ल्यूडी मंत्री, दिल्ली सरकार
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