दिल्ली में छठा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट गाजीपुर लगाने के लिए शुरू हुई प्रक्रिया, वैज्ञानिक तरीके से होगा निस्तारण
दिल्ली नगर निगम कूड़े के पहाड़ों की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। पुराने कचरे को ट्रामल मशीनों से अलग कर मिट्टी का उपयोग भराव में किया जा रहा है। गाजीपुर में 2000 टन प्रतिदिन क्षमता का कूड़े से बिजली बनाने का नया संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नरेला में भी एक संयंत्र को मंजूरी मिल गई है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों का तेजी से निस्तारण के लिए निगम ने इसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण पर जोर दे रहा है। इसमें कूड़े के पहाड़ों (लैंडफिल) पर पड़े पुराने कचरे को निस्तारण के लिए ट्रामल मशीनों का उपयोग किया जा रहा है और उससे निकली निष्क्रिय मिट्टी का उपयोग भराव के लिए किया जा रहा है।
लैंडफिल साइटों पर नया कचरा न पड़े इसके लिए निगम गाजीपुर लैंड़फिल पर नया संयंत्र लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए निगम ने 2000 टन प्रतिदिन का कूड़ा निस्तारण के लिए कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र स्थापित करने के लिए निविदा मांगी है।
वर्तमान में चार कूड़े से बिजली बनाने के संयंत्र स्थापित
एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्तमान में चार कूड़े से बिजली बनाने के संयंत्र स्थापित है। इससे 8100 टन प्रतिदिन कचरे का निस्तारण हो रहा है। 11500 टन प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे में से शेष 4242 टन कचरा गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल पर डाला जा रहा है। इस समस्या के निदान दो नए संयंत्र लगाए जाने हैं। इसमें एक नरेला में हैं तो दूसरा संयंत्र गाजीपुर में है।
दूसरा संयंत्र स्थापित करने के लिए गाजीपुर में प्रक्रिया शुरू
नरेला में 3000 टन प्रतिदिन कचरा निस्तारण की क्षमता का कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र स्थापित करने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से पर्यावरण मंत्री मंजूरी मिल गई है। अब दूसरा संयंत्र स्थापित करने के लिए गाजीपुर में प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
नरेला संयंत्र दिसंबर 2027 तक चालू हो जाएगा
निगम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेला संयंत्र दिसंबर 2027 तक चालू हो जाएगा जबकि गाजीपुर का संयंत्र दिसंबर 2028 तक शुरू करने की योजना है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में बवाना में 2000 टन प्रतिदिन (टीडीपी), ओखला में 1950 टीडीपी, गाजीपुर 1300 टीडीपी और तेहखंड में 2000 टीडीपी क्षमता का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का उपयोग हो रहा है।
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