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    दिल्ली के 200 से ज्यादा गांवों की बदलेगी सूरत, भाजपा सरकार ने बढ़ाया कदम

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 07:51 AM (IST)

    दिल्ली ग्रामीण विकास बोर्ड अब 200 से अधिक गांवों की स्थिति में सुधार करेगा। भाजपा सरकार ने राजकुमार चौहान को बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया है। गांवों में जल निकासी सड़कें और अन्य बुनियादी सुविधाओं की हालत खराब है। ग्रामीणों को नई सरकार और नए चेयरमैन से विकास की उम्मीद है। बोर्ड बारात घर नाली सीवर और सड़कों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा।

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    अधिकतर गांवों में जल निकासी है गंभीर समस्या, सड़कों की हालत भी है जर्जर

    जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। दिल्ली के गांव कहने को तो गांव हैं, लेकिन न तो यहां गांव जैसे हालात हैं और ना ही महानगर की कॉलोनियों जैसी सुविधाएं ही है। अधिकतर ग्रामीण इलाकों में जल निकासी एक गंभीर समस्या है। सड़कें, गलियां और नालियां भी दुरुस्त नहीं है।

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    गांवों के विकास के लिए भाजपा सरकार ने ग्रामीण विकास बोर्ड को फिर से पुनर्गठित किया है। भाजपा सरकार ने मंगोलपुरी से विधायक व कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे राजकुमार चौहान को ग्रामीण विकास बोर्ड का चेयरमैन बनाया है।

    इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए उन्हें कैबिनेट रैंक प्रदान किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस नई सरकार में बोर्ड के गठन से उन्हें एक नई उम्मीद जगी है। अब ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा। उन्हें वह मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी, जिनके लिए वे वर्षों से इंतजार कर रहे हैं।

    बाहरी दिल्ली के गांवों की बात करें तो अधिकतर गांवों में जल निकासी गंभीर समस्या है। किराड़ी, निठारी, मुबारकपुर डबास, रानीखेड़ा, घेवरा गांव, कराला, मजरी, मोहम्मदपुर मजरी, मुंडका, टीकरी कलां गांव समेत अन्य दर्जनों गांव हैं, जहां पानी निकासी एक गंभीर समस्या है। वर्षा के बाद इन जगहों पर जलभराव की स्थिति हो जाती है। बिन वर्षा भी कई गांवों में नालियों का पानी सड़कों पर बहता रहता है।

    नई सरकार और नए चेयरमैन से ग्रामीणों को है काफी उम्मीदें

    चौगामा विकास समिति के महासचिव विजेंद्र सिंह डबास ने बताया कि दिसंबर 1993 में दिल्ली में विधानसभा के चुनाव पहली बार हुए थे। इससे पहले दिल्ली में महानगर परिषद होती थी, लेकिन 1993 से 1998 के बीच शायद ही ग्रामीण विकास बोर्ड का गठन हुआ, लेकिन इसके पश्चात शीला दीक्षित ने ग्रामीण विकास बोर्ड का गठन किया।

    ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए इस बोर्ड का गठन किया गया था। वर्ष 2004 से 2009 के बीच करीब एक वर्ष के लिए बाहरी दिल्ली से तत्कालीन सांसद सज्जन कुमार करीब एक वर्ष तक इस पद पर रहे। फिर नानावटी आयोग में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा।

    इसके बाद यह प्रक्रिया धीमी सी पड़ती चली गई और कभी इसका चार्ज ग्रामीण विकास मंत्री के पास रहता या कहीं विकास मंत्री के पास रहा। लेकिन गांव का कोई विकास नहीं हुआ।

    पूर्व में बोर्ड में न तो पर्याप्त बजट रहा और ने ही इस बोर्ड में जागरूक लोगों की भागीदारी ही रही। अब नए-नए ग्रामीण विकास बोर्ड के अध्यक्ष राजकुमार चौहान बनाए गए हैं उम्मीद करते हैं की यह अपने अनुभव अनुसार ग्रामीण क्षेत्र की ओर ध्यान देंगे।

    ग्रामीण क्षेत्र में बुनिया ढ़ांचों का विकास करना मेरी प्राथमिकताएं

    राजकुमार चौहान ने कहा कि ग्रामीण विकास बोर्ड में पहली बार कैबिनेट रैंक प्रदान किया गया है, जो मेरे लिए गर्व की बात है। उन्होंने आगे कहा कि वह इस जिम्मेदारी को मजबूती से निभाएंगे और दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए दिन-रात काम करेंगे। मेरे लिए एक नई चुनौती है, इसे स्वीकार करता हूं और पूरी मेहनत से इसे पूरा करूंगा।

    दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को लेकर राजकुमार चौहान ने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे जैसे सड़कें, नालियां, चौपालें और बारात घरों का विकास उनकी प्राथमिकता होगी। 200 से अधिक गांवों में हमें काम करना है, जहां से पिछली सरकार में गायब हो चुकी मूलभूत सुविधाओं को फिर से बहाल करना है।

    आप सरकार में कुछ ही गांव में हुए विकास कार्य

    तत्कालीन विकास मंत्री गोपाल राय की अध्यक्षता में अक्टूबर 2024 में बोर्ड की बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, जल निकासी व्यवस्था, सामुदायिक सुविधाएं, हरित स्थान और खेल बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 167 योजनाओं को मंजूरी दी थी। जिसपर 115.52 करोड़ रुपये खर्च होने थे। जिस में कुछ ही गांव में विकास कार्य हो पाए।