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    ODF Delhi के दावे पर सवाल, शौचालयों की कमी और दुर्दशा दे रही चुनौती,

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 02:45 PM (IST)

    नई दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी कॉलोनियों में खुले में शौच की समस्या 2019 में दिल्ली को ओडीएफ घोषित करने के दावे को चुनौती दे रही है। यमुना पुश्ता सीमापुरी जैसे क्षेत्रों में शौचालयों की कमी है। शौचालयों के रखरखाव और सफाई की कमी के कारण उनकी उपयोगिता कम है। जनसेवा वेलफेयर सोसाइटी ने इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है।

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    राष्ट्रीय राजधानी में शौचालयों की कमी और दुर्दशा ओडीएफ के दावों को दे रही चुनौती।

    अनूप कुमार सिह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की 169 से अधिक झुग्गी-झोपड़ी कालोनी और मलिन बस्तियों में खुले में शौच की समस्या वर्ष 2019 में दिल्ली को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) होने के दावे को खुली चुनौती दे रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है विशेषकर तब, जब बात राष्ट्रीय राजधानी की हो।

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    सरकारी प्रयास अपने उद्देश्यों पर खरे नहीं उतर रहे

    ओडीएफ के तहत सरकारी प्रयासों ने झुग्गी-झोपड़ियों में खुले में शौच की समस्या को कम किया। मगर यमुना पुश्ता, सीमापुरी, कुसुमपुर पहाड़ी, संगम विहार व पहाड़गंज जैसे क्षेत्रों में जनसंख्या अनुपात में शौचालयों की कमी इसे अब भी चुनौती दे रही हैं।

    इन क्षेत्रों में जनसंख्या का दबाव, बुनियादी ढांचे, सफाई, बिजली-पानी की कमी तथा रखरखाव में लापरवाही के कारण सरकारी प्रयास अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पाए हैं।

    उपयोगिता नहीं के बराबर

    पिछले पांच वर्षों की स्थिति पर नजर डालें तो 2021 से 2023 में यह शिकायत लगातार रही कि शौचालय निर्माण तो हुआ लेकिन रखरखाव, सफाई और बिजली पानी की कमी के कारण इनकी उपयोगिता नहीं के बराबर है।

    2023 में यमुना की बाढ़ और जी-20 शिखर सम्मेलन के समय प्रगति मैदान के पास झुग्गियों के साथ शौचालयों को भी तोड़े जाने ने इस क्षेत्र में शौचालयों की उपलब्धता को कम कर दिया, जिसने खुले में शौच को बढ़ावा दिया।

    करीब चार हजार शौचालय ही कार्यशील

    2024-2025 में दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने शौचालयों के रखरखाव के लिए नई एजेंसियों को टेंडर किए, सीवर लाइनों की स्थापना आरंभ हुई पर, जनसंख्या वृद्धि व बुनियादी ढांचे की कमी के कारण समस्या बनी हुई है।

    दिल्ली में सार्वजनिक शौचालयों की संख्या पांच हजार के करीब बताई जाती है, इनमें से करीब चार हजार ही कार्यशील है। यही वजह है कि बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनसेवा वेलफेयर सोसाइटी की जनहित याचिका पर इसे लेकर दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली विकास प्राधिकरण को जमकर फटकार लगाई।

    प्रमुख प्रभावित क्षेत्र और समस्या

    • यमुना पुश्ता क्षेत्र झुग्गीवासियों 2023 की बाढ़ के बाद अस्थायी आश्रय नष्ट होने से शौचालयों की कमी हो गई।
    • सीमापुरी, पूर्वी दिल्ली का यह झुग्गी क्षेत्र कचरा डंपिंग ग्राउंड के पास है, जहां जल निकासी व स्वच्छता की कमी है। सामुदायिक शौचालयों की संख्या व रखरखाव पर्याप्त नहीं होने से यहां के निवासी खुले में शौच करते हैं।
    • कुसुमपुर पहाड़ी वसंत विहार इस झुग्गी क्षेत्र में 10,000 से अधिक की जनसंख्या है। शिायत है कि इसके सापेक्ष शौचालयों की कमी और खराब रखरखाव के कारण कई लोग नालों या खुली जगहों का उपयोग करते हैं।
    • संगम विहार दक्षिणी दिल्ली की यह झुग्गी कालोनी भारत की सबसे बड़ी झुग्गी कालोनियों में से एक मानी जाती है। यहां भी पानी की आपूर्ति और शौचालयों की कमी तथा उचित रखरखाव के अभाव में खुले में शौच आम है।
    • भोलानाथ नगर शाहदरा इन क्षेत्रों में झुग्गीवासी शौचालयों की अनुपलब्धता व खराब स्थिति के कारण मजबूरन रेलवे ट्रैक और सड़कों के किनारे खुले में शौच करने को मजबूर हैं।

    सबसे ज्यादा खराब स्थिति एमसीडी की...

    "दिल्ली में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली विकास प्राधिकरण की अनदेखी, लापरवाही और कर्तव्यों के प्रति उदासीनता के कारण बेहद खराब है। यह लोग जमीन पर हकीकत के उलट तस्वीर दिखाते हैं। यही वजह है कि जनसेवा वेलफेयर सोसाइटी को दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करनी पड़ी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति एमसीडी की है, वह इस मामले में गलत दावा पेश करती है।"

    अजय अग्रवाल, अध्यक्ष, जनसेवा वेलफेयर सोसाइटी