पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास का कैसे हो इस्तेमाल, अब तक तय नही; 'शीशमहल' पर असमंजस में दिल्ली सरकार
दिल्ली में शीशमहल बंगले के उपयोग को लेकर सरकार अभी भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह आवास करोड़ों की लागत से बना है लेकिन फिलहाल खाली है। सरकार ने केंद्र को तीन प्रस्ताव भेजे हैं जिनमें इसे अतिथि आवास बनाना या नीलाम करना शामिल है। बंगले के नवीनीकरण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं जिसकी जांच चल रही है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास रहे शीश महल बंगले के उपयोग को लेकर सात माह बाद भी फैसला नहीं हाे सका है। करोड़ों रुपये की लागत से तैयार किया गया सिविल लाइन के फ्लैग स्टाफ रोड का छह नंबर का आलीशान बंगला एक साल से खाली है।
प्रतिमाह इसके रखरखाव पर मोटी राशि खर्च हो रही है। बंगले को लेकर हुए विवाद के चलते वर्तमान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गत फरवरी में ही इसे अपना आवास बनाने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली सरकार ने कुछ माह पहले इसके उपयोग को लेकर तीन प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे थे, मगर उन पर अभी तक फैसला नहीं हो सका है। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र के निर्देश पर ही इस बंगले का उपयोग हो सकेगा।
बता दें कि भाजपा ने इस बंगले में हुए रेनोवेशन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए चुनावी मुद्दा बनाया था, इसे शीशमहल नाम दिया था। केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई इसकी जांच कर रही है।
इससे पहले दिल्ली सरकार की सतर्कता जांच में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने भी आ चुके हैं और इस रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग के पांच वरिष्ठ अभियंता निलंबित हाे चुके हैं।
यह बंगला आजादी से पहले 1942 में तैयार बना था। बंगले में शुरू में एक ऑफिस के अलावा पांच बेडरूम थे। यह लुटियंस दिल्ली क्षेत्र के बाहर सबसे बड़ी ऐसी संपत्तियों में से एक है।
1960 के दशक से यह बंगला दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ( पीडब्ल्ययूडी) के पास है। मार्च 2020 में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस बंगले के भूतल पर आवास के नवीनीकरण और एक अतिरिक्त मंजिल के निर्माण का प्रस्ताव रखा था।
सरकार की सतर्कता जांच के अनुसार इसकी प्रारंभिक लागत अनुमान 7.91 करोड़ रुपये था, लेकिन 2022 में नवीनीकरण पूरा होने तक इस पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
मगर उसके बाद आवास में उपलब्ध कराए गए फर्नीचर आदि काे लेकर भी विवाद हो गया था। जिसमें आठ लाख के पर्दे आदि होने की बात कही गई थी।
2024 में जब पांच माह बाद जेल से बाहर आने पर केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था अौर अक्टूबर 2024 में यह आवास खाली कर दिया था। उसी समय ये बंगला खाली है।
दिल्ली सरकार ने केंद्र को भेजे ये प्रस्ताव
दिल्ली सरकार ने इस बंगले के उपयोग के लिए केंद्र को ये प्रस्ताव भेजे हैं। जिसके तहत इसे अतिथि आवास बना दिया जाए, केंद्र सरकार इसे लेकर दिल्ली सरकार को अन्य संपत्ति दे दे या इस बंगले की नीलामी कर दी जाए।
दिल्ली सरकार के सूत्रों की मानें ताे इस बंगले को राज्य अतिथि आवास बना देना ज्याया ठीक रहेगा। यहां पर मेहमानों, विदेशी गणमान्य लोगों और उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों के साथ अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था हो सकेगी। अभी तक दिल्ली का अपना कोई भी अतिथि आवास नहीं है।
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