स्कूलों में बच्चों को हम नहीं दे पा रहे यूनिफाॅर्म... शिक्षा निदेशालय ने हाई कोर्ट को बताई अपनी मजबूरी
शिक्षा निदेशालय ने उच्च न्यायालय से स्कूली बच्चों को यूनिफाॅर्म की जगह नकद सब्सिडी देने की अनुमति मांगी है। निदेशालय का कहना है कि यूनिफाॅर्म सप्लाई में दिक्कतें आ रही हैं इसलिए नकद प्रतिपूर्ति का विकल्प उचित है। कैबिनेट ने यूनिफार्म दरें बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया था लेकिन सीधे यूनिफाॅर्म देने की व्यवस्था नामंजूर कर दी थी। अदालत पहले कह चुकी है कि नकद देना नियमों के खिलाफ है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शिक्षा निदेशालय ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि स्कूली बच्चों को यूनिफाॅर्म देने की बजाय नकद सब्सिडी देने की अनुमति दी जाए। निदेशालय का कहना है कि यूनिफार्म सप्लाई करने में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं, इसलिए नकद प्रतिपूर्ति ही विकल्प बचा है।
शिक्षा निदेशालय ने अर्जी में कहा है कि सात मई 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में यूनिफार्म दरें बढ़ाने का प्रस्ताव पास हुआ था। लेकिन, वितरण का तरीका तय करते वक्त मंत्रिपरिषद ने सीधे यूनिफाॅर्म देने की व्यवस्था को नामंजूर कर दिया।
इसके बाद जून में शिक्षा सचिव ने नई दरों के हिसाब से नकद प्रतिपूर्ति योजना को मंजूरी दी और अधिसूचना जारी की। निदेशालय ने कोर्ट से कहा परिचालन कठिनाइयों के कारण यूनिफाॅर्म उपलब्ध कराना संभव नहीं हो पाया है।
यह मामला उन याचिकाओं से जुड़ा है, जिनमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित वर्ग (डीजी) श्रेणी के बच्चों को किताबें, यूनिफाॅर्म और स्टेशनरी उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
हाई कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि सरकार और स्कूलों की जिम्मेदारी है कि ईडब्ल्यूएस व डीजी वर्ग के बच्चों को मुफ्त किताबों के साथ-साथ यूनिफार्म और लिखने-पढ़ने का सामान दिया जाए। 2023 में अदालत ने यह भी कहा था कि यूनिफाॅर्म और किताबों की जगह नकद देना नियमों के खिलाफ है।
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