यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बावजूद नहीं कराई मेडिकल जांच, दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक आरोपित को अग्रिम जमानत दी है। अदालत ने कहा कि पीड़िता द्वारा मेडिकल जांच कराने से इनकार करना अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर कर सकता है। अदालत ने पीड़िता के आरोपों और उसकी शैक्षिक पृष्ठभूमि पर भी विचार किया। अदालत ने आरोपी को 30 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपित को अग्रिम जमानत दे दी।
पीठ ने कहा कि गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप के बावजूद पीड़ित की ओर से मेडिकल जांच से इनकार करना मामले को कमजोर कर सकता है।
न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि प्राथमिकी में पीड़ित ने धमकी और अपमानजनक व्यवहार करने का आरोप लगाया था।
पीठ ने कहा कि प्राथमिकी में पीड़िता ने धमकी और अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया था, लेकिन यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म के किसी भी आरोप की जानकारी नहीं दी थी।
इस पर महिला ने तर्क दिया था कि जांच अधिकारी ने उसका बयान गलत तरीके से दर्ज किया था। हालांकि कोई ने इससे इत्तेफाक नहीं रखा।
महिला की शैक्षिक पृष्ठभूमि को देखते हुए अदालत ने कहा कि उनके इस तर्क पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि महिला पीएचडी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है और उसे भोला या अनजान नहीं माना जा सकता है।
अदालत ने कहा कि गंभीर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बावजूद महिला की ओर से चिकित्सा परीक्षण कराने से इनकार करना अभियोजन पक्ष के मामले को और कमजोर करता है।
अदालत ने यह भी कहा कि आरोपित और महिला का परिवार एक-दूसरे को जानता था और इसलिए बिक्री के समझौते को लेकर दोनों परिवारों के बीच हुए विवाद की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
उक्त तथ्यों को देखते हुए अदालत ने आरोपित को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके व इतनी ही राशि के एक जमानती पर अग्रिम जमानत दे दी।
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