दिल्ली से चौंकाने वाली रिपोर्ट, MCD पर पहले से 14 हजार करोड़ की देनदारी और अब हुआ करोड़ों का घाटा
दिल्ली नगर निगम को राजस्व वसूली में लगभग 312 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार ठोस कचरा प्रबंधन और विज्ञापन नीति के उल्लंघन के कारण यह नुकसान हुआ। यूजर चार्ज की वसूली में अनियमितताएं और अन्य शुल्क जमा न करने से राजस्व का नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त एमसीडी अपने सामुदायिक भवनों को कौशल विकास केंद्रों के रूप में उपयोग करने की योजना बना रही है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में नगर निगम पर एक ओर 14 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है वहीं, सही तरीके से राजस्व वसूली न होने की वजह से 312 करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान की बात सामने आई है।
दिल्ली नगर निगम के ऑडिट विभाग ने पूर्वकालिक तीनों निगम के एकीकरण के बाद बने दिल्ली नगर निगम के वर्ष 2022-23 के कार्यों का ऑडिट किया है। ऑडिट में निगम के सात विभागों के 77 ऑडिट पैराग्राफ शामिल किए गए हैं।
वहीं, इसमें प्रमुख तौर पर पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं विभाग (डेम्स) द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन उपयनियमों के कार्यान्यवन से लेकर आउटडोर विज्ञापन नीति के तहत कम राजस्व की प्राप्ति समेत वन टाइम पार्किंग शुल्क की सही से वसूली न होने की वजह से नुकसान का अनुमान जताया है।
सबसे ज्यादा अनुमानित नुकसान डेम्स विभाग द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन उप नियमों के तहत जहां आवासीय और व्यावसायिक इमारतों से संपत्ति के आकार के हिसाब से कूड़ा उठाने के बदले यूजर चार्ज वसूले जाना था लेकिन 2019 से लागू हुए नियमों के तहत ऑडिट विभाग को कचरा उत्पन्न करने वालों का कोई डाटा ही नहीं मिला।
बताया कि दिल्ली में हर घर से कचरा उत्पन्न होता है। जबकि दक्षिणी जोन से व्यावसायिक संपत्तियों से यूजर चार्ज की वसूली में भी अनिमियतता पाई गई। इससे निगम को कुल इस मदद से 84.9 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ।
मध्य जोन में भी इसी तरह यूजर चार्ज न वसूलने की वजह से 70.23 करोड़ का नुकसान हुआ। इसी तरह निगम को ठोस कचरा प्रबंधन उपनियमों के पालन न कराने से 155.1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार फ्लोर एरिया रेशियों, एक मुश्त पार्किंग शुल्क और रिहायशी संपत्तियों को व्यावसायिक में परिवर्तन करने का कन्वर्जन शुल्क जमा न करने से नौ करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
इसके साथ ही आउटडोर विज्ञापन नीति के तहत विज्ञापन में आने वाले नुकसान के चलते भी निगम को करीब 142 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ। इसमें बस क्यू शेल्टर पर विज्ञापन से ट्रांसपोर्ट कंपनी से 40.42 करोड़ रुपये कम प्राप्त होने की वजह से नुकसान हुआ। जबकि आइजीआइ एयरपोर्ट पर राजस्व साझा करने की नीति के तहत विज्ञापन लगाने पर भी निगम को 81.97 रुपये का नुकसान हुआ।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में यूजर चार्ज वसूलने का नियम था लेकिन पूर्वकालिक निगमों ने सदन से प्रस्ताव पारित कर रिहायशी संपत्तियों से यूजर चार्ज की वसूली को प्रतिबंधित कर दिया था। जबकि निगम के एकीकरण के बाद इसे लिया जा सकता था। वर्ष 2025-26 में निगम ने इसे लागू कर दिया था लेकिन जब नागिरकों का विरोध हुआ तो इसे निगम ने ऐच्छिक कर दिया।
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एमसीडी के अनुपयोगी समुदायिक भवनों का उपयोग कौशल विकास केंद्रों के तौर पर किया जाएगा। निगम की स्थायी समिति ने इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है। स्थायी समिति की अध्यक्षा सत्या शर्मा ने कहा कि निगम के अधीन कुल 278 सामुदायिक भवन हैं। जिनमें से 122 भवन ऐसे हैं जो या तो खाली हैं या बहुत कम उपयोग होते है। ऐसे सामुदायिक भवनों का दोपहर तीन से रात आठ बजे तक स्थानीय युवाओं व महिलाओं को कौशल विकास के प्रशिक्षण के लिए उपयोग किया जाएगा।
बैठक में स्थायी समिति सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव में सुधार और भवन निर्माण के लिए नक्शा पास करने की प्रक्रिया को सरल करने कूड़ा उठाने में लापरवाही करने वाली एजेंसियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
बैठक में पश्चिमी और सेंट्रल जोन में एजेंसियों द्वारा कूड़ा न उठाए जाने की समस्या और छह माह के लिए लगाई गई नई एजेंसी के सही से काम न करने का मुद्दा उठाया था। पार्षद राजपाल सिंह ने कहा कि मध्य जोन में लोग परेशान है। ऐसे में लोगों को परेशान नहीं छोड़ा जा सकता है। कूड़ा न उठे यह सही नहीं है।
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