दिल्ली के नबी करीम थाने पर तीस हजारी कोर्ट की बड़ी कार्रवाई, पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश
तीस हजारी कोर्ट ने नबी करीम थाने के पुलिस अधिकारियों पर महिला वकील से दुर्व्यवहार के आरोप में एफआईआर का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रथमदृष्टया आरोपों को संज्ञेय अपराध माना। महिला वकील ने थाने में गाली-गलौज और मारपीट का आरोप लगाया था साथ ही एसएचओ पर शिकायत दर्ज न करने का आरोप लगाया। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाए और निष्पक्ष जांच के आदेश दिए।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हजारी स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने महिला वकील से दुर्व्यवहार के आरोपों को देखते हुए नबी करीम थाने के पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया आरोप संज्ञेय अपराध को दर्शाते हैं। इसमें महिला के खिलाफ अपमानजनक भाषा इस्तेमाल करना और प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार करना आदि शामिल है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डाॅ. राजकुमार सिंह ने आदेश दिया कि एसएचओ तुरंत प्राथमिकी दर्ज करें और जांच ऐसे अधिकारी को सौंपी जाए, जो घटना से जुड़ा न हो।
अदालत ने कहा कि अभी दोष तय नहीं हुआ है, लेकिन निष्पक्ष जांच जरूरी है क्योंकि आरोप पुलिस थाने के अंदर महिला के साथ दुर्व्यवहार और प्राथमिकी दर्ज न करने से जुड़ा है।
अदालत ने सीसीटीवी फुटेज की स्थिति पर भी सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि घटना से संबंधित कुछ फुटेज उपलब्ध कराए गए, लेकिन उन पर संदेह होता है।
जिस कमरे में घटना हुई, वहां कैमरा न होने और वीडियो में कट-पेस्ट जैसे अंतराल ने फुटेज की प्रामाणिकता पर कोर्ट ने सवाल खड़ा किया। कहा कि फुटेज और डीवीआर को फारेंसिक जांच के लिए सुरक्षित किया जाए।
शिकायतकर्ता महिला वकील ने आरोप लगाया था कि 31 मई को वह अपनी महिला क्लाइंट और उनकी गर्भवती बेटी के साथ थाने गई, जहां एसआई धर्मेंद्र ने उनके साथ गाली-गलौज, अभद्र टिप्पणी और मारपीट की।
जब उन्होंने इस घटना की शिकायत एसएचओ अश्विनी सिंह दलाल से करनी चाही, तो उन्होंने लिखित शिकायत और मेडिकल जांच करवाने से इनकार कर दिया।
वकील ने बताया कि उन्होंने तुरंत पीसीआर काॅल, ईमेल और डाक के जरिए डीसीपी को भी शिकायत भेजी और बाद में खुद मेडिकल कराया।
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