दिल्ली में रिकॉर्ड स्तर पर हो रहा भूजल का दोहन, प्राधिकरण की रिपोर्ट में चौंकानेवाले खुलासे; पढ़ें डिटेल
दिल्ली में घरेलू इस्तेमाल के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है जो चिंता का विषय है। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार 70% से अधिक भूजल केवल घरों में इस्तेमाल हो रहा है। कई इलाकों में भूजल का स्तर बहुत नीचे चला गया है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने भी इस पर चिंता जताई है और अवैध बोरवेल के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। प्रतिबंध के बावजूद राजधानी में भूजल का खजाना घरेलू इस्तेमाल में खाली हो रहा है। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 25 हजार 900 हेक्टेयर मीटर से ज्यादा पानी सिर्फ घरों में इस्तेमाल के लिए निकाला जा रहा है। यह हर साल निकाले जाने वाले कुल भूजल का 70 प्रतिशत से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में ऐसे इलाकों की भी पहचान की गई है, जहां पर भूजल का बहुत ही ज्यादा दोहन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि भूजल को जमीन के नीचे मौजूद पानी का एक सुरक्षित भंडार माना जाता है। यह पानी बहुत ही एक लंबी प्रक्रिया में धीमे-धीमे धरती के नीचे जमा होता है। इसलिए इसके इस्तेमाल को लेकर सतर्कता बरतने की बात कही जाती है। महत्वपूर्ण यह है कि हर साल जितना भूजल निकाला जाता है, यदि उतने ही भूजल का संभरण नहीं होता है तो फिर यह भंडार खाली हो जाएगी। दिल्ली में कुछ ऐसा ही होता हुआ दिख रहा है।
दिल्ली में भूजल के दोहन की चिंताजनक तस्वीर सामने रखी
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में दाखिल एक हलफनामे में प्राधिकरण ने दिल्ली में भूजल के दोहन की चिंताजनक तस्वीर सामने रखी है। हलफनामे में शामिल रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में हर साल 34 हजार 453 हेक्टेयर मीटर भूजल का दोहन किया जाता है। दिल्ली में आमतौर पर घरेलू इस्तेमाल के लिए भूजल के इस्तेमाल की मनाही है।
अवैध बोरवेल की पहचान व सील करने का अभियान भी चलाया जाता है। लेकिन, प्राधिकरण की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में हर साल 25 हजार 959 हेक्टेयर मीटर पानी सिर्फ घरेलू इस्तेमाल के लिए निकाला जा रहा है। इसके बाद कृषि क्षेत्र का नंबर है। कृषि क्षेत्र के लिए आठ हजार 427 हेक्टेयर मीटर भूजल निकाला जाता है। जबकि, औद्योगिक इस्तेमाल के लिए 67.11 हेक्टेयर पानी निकाला जाता है।
सबसे ज्यादा दोहन करने वाले हिस्सों की भी पहचान की गई
रिपोर्ट में भूजल का सबसे ज्यादा दोहन करने वाले हिस्सों की भी पहचान की गई है। इसमें दिल्ली के भूजल को कुल 34 यूनिटों में विभाजित किया गया है। इसमें 14 यूनिटें ऐसी हैं जहां भूमिगत जल का सबसे ज्यादा दोहन किया जा रहा है। इन 14 यूनिटों में करोल बाग, मयूर विहार, चाणक्यपुरी, दिल्ली छावनी, वसंत विहार, नरेला, यमुना विहार, करावल नगर, शाहदरा, विवेक विहार, महरौली, साकेत, कापसहेड़ा व राजौरी गार्डन का नाम शामिल है।
वहीं, कोतवाली, गांधी नगर, प्रीत विहार, अलीपुर, मॉडल टाउन, सीमापुरी, हौजखास, डिफेंस कालोनी, कालकाजी, सरिता विहार, द्वारका, पंजाबी बाग, पटेल नगर जैसी 13 यूनिटों में भी जमकर भूजल निकाला जा रहा है। इनकी तुलना में सीलमपुर, सरस्वती विहार, सिविल लाइंस, कांझावला, रोहिणी, नजफगढ़ और नजूल लैंड में भूजल का दोहन कम किया जा रहा है।
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