दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा-संसद की सुरक्षा में सेंध लगाना गंभीर, जमानत याचिका पर पुलिस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में आरोपित सागर शर्मा और मनोरंजन डी की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि संसद में घुसपैठ एक गंभीर मामला है और भारत में आतंक फैलाने का यह सबसे आसान तरीका है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले जमानत पाए आरोपितों और इन आरोपियों के मामलों में अंतर है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले में आरोपित सागर शर्मा और मनोरंजन डी की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने कहा कि भारत में आतंक फैलाने का सबसे आसान तरीका संसद को बाधित करना है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने कहा कि संसद में घुसपैठ एक गंभीर मामला है।
मनोरंजन की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि संसद के भीतर धुआं छोड़ना और नारेबाजी करना आतंकवादी कृत्य नहीं था।
उन्होंने दलील ही कि इस्तेमाल किया गया धुआं हानिकारक नहीं था और इसका उद्देश्य केवल बेरोजगारी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करना था।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन दो आरोपितों नीलम आजाद और महेश कुमावत को पहले जमानत दी गई है, वे संसद परिसर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि सागर शर्मा और मनोरंजन संसद के भीतर घुसे थे। इसलिए उनके मामलों में समानता नहीं है।
कोर्ट ने सागर शर्मा और मनोरंजन डी की मानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है और अगली सुनवाई आठ अक्टूबर को तय की है।
यह मामला 13 दिसंबर 2023 को संसद पर हुए सुरक्षा में सेंध से जुड़ा है, जब सागर शर्मा और मनोरंजन डी ने लोकसभा में दर्शक दीर्घा से कूदकर पीले रंग का धुआं छोड़ा और नारेबाजी की।
वहीं संसद के बाहर अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने भी गैस कनस्तर से रंगीन धुआं छोड़ा और तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाए। चार आरोपितों को मौके से गिरफ्तार किया गया था जबकि लालित झा और महेश कुमावत को बाद में पकड़ा गया।
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