Delhi Pollution: दिल्ली अभी भी देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, यह सिटी है सबसे ऊपर; रिपोर्ट में खुलासा
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली अभी भी देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है जबकि बर्नीहाट सबसे ऊपर है। 239 शहरों में से 122 ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पार किया। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से दोगुना है। विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी संबंधित पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली अब भी देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है। जबकि असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में अव्वल रहा है। ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केन्द्र (सीआरईए) की ओर से जारी रिपोर्ट का यह निष्कर्ष है।
सीआरईए ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट जारी की, जो साल 2025 की पहली छमाही के दौरान देशभर में हवा की गुणवत्ता के विश्लेषण के आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, निगरानी वाले कुल 293 में से 239 शहरों में 80 प्रतिशत से ज्यादा दिनों तक पीएम 2.5 का डेटा उपलब्ध रहा। इन 239 में से 122 शहरों ने भारत के वार्षिक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर लिया। जबकि 117 शहर इस सीमा से नीचे रहे।
इस साल की पहली छमाही में 122 शहर प्रदूषित रहे
हालांकि, सभी 239 शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सख्त वार्षिक मानक पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर गए। यानी वायु गुणवत्ता के भारतीय मानकों के मुताबिक, इस साल की पहली छमाही में 122 शहर प्रदूषित रहे। जबकि डब्ल्यूएचओ के मानकों के हिसाब से देखें तो सभी 239 शहर वायु-प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल रहे।
रिपोर्ट के अनुसार, बर्नीहाट में औसत पीएम 2.5 सांद्रता 133 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। वहां साल की पहली छमाही के अधिकांश दिनों में वायु गुणवत्ता ''बहुत खराब'' श्रेणी में रही। इस दौरान ''अच्छी'' वायु गुणवत्ता वाला एक भी दिन दर्ज नहीं किया गया। वहीं, दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 87 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। यह स्तर एनएएक्यूएस से दोगुना है।
दिल्ली इस साल अपनी स्थिति नहीं सुधार सकेगी
शहर ने 10 जनवरी, 2025 की शुरुआत में डब्ल्यूएचओ के वार्षिक पीएम 2.5 मानक को पार किया जबकि पांच जून 2025 तक एनएएक्यूएस का स्तर पर लांघ लिया। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों ही मानकों के उल्लंघन के बाद दिल्ली अब साल के बाकी बचे महीनों में भी वायु प्रदूषण के मामले में अपनी स्थिति को सुधार नहीं सकेगी।
बर्नीहाट और दिल्ली के अलावा देश के शीर्ष 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में हाजीपुर, गाजियाबाद, गुरुग्राम, सासाराम, पटना, तालचेर, राउरकेला और राजगीर शामिल हैं। इनमें चार शहर बिहार के, दो ओडिशा के और शेष दिल्ली, असम, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं।
दिल्ली में सिर्फ गाड़ियों पर प्रतिबन्ध से काम नहीं चलेगा
रिपोर्ट के मुताबिक, किसी शहर में हवा गुणवत्ता सुधारने के लिए जीवन-अवधि पूरी कर चुके वाहनों पर प्रतिबंध लगाना एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन दिल्ली की तरह सिर्फ इसी एक कदम पर ही ध्यान केन्द्रित करने से काम नहीं चलने वाला। सालभर में वायु की गुणवत्ता खराब करने वाले दूसरे तमाम घटकों पर भी ध्यान देना जरूरी है।
पोर्टल फॉर रेगुलेशन ऑफ एयर-पॉल्यूशन इन नान-अटेनमेंट सिटीज (प्राण) और आइआइटी दिल्ली के स्रोत विभाजन अध्ययन पर ध्यान देना जरूरी है। इसके मुताबिक, वायु प्रदूषण में परिवहन यानी मोटरगाड़ियों का योगदान 17 से 28 प्रतिशत तक ही है। जबकि इसमें धूल (17 से 38 प्रतिशत), आवासीय गतिविधियों (8 से 10 प्रतिशत), खेतों के अपशिष्ट, पराली आदि को जलाने (4 से 7 प्रतिशत), औद्योगिक गतिविधियों तथा बिजली संयंत्रों (22 से 30 प्रतिशत) का भी योगदान होता है।
किसी भी भारतीय शहर में वायु गुणवत्ता के संकट से निपटने के लिए सभी पहलुओं को देखने, समझने और उन पर कार्रवाई करने की जरूरत है। टुकड़ों-टुकड़ों में उठाए गए कदमों या अस्थायी मौसमी उपायों से काम नहीं चल सकता। - मनोज कुमार, विश्लेषक, सीआरईए
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