DU के यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड में की गई बढ़ोतरी, छात्रों को देने होंगे 1500 रुपये; पड़ेगा अतिरिक्त भार
दिल्ली विश्वविद्यालय ने यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड और सुविधा शुल्क में वृद्धि की है जिससे छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पिछले तीन वर्षों में यह राशि दोगुनी हो गई है। शिक्षक समुदाय ने इस वृद्धि पर आपत्ति जताई है क्योंकि कॉलेजों में पहले से ही डेवलपमेंट फंड लिया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर भी इसका असर पड़ेगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड और सुविधा व सर्विस चार्ज में एकाएक बढ़ोतरी की है। यह पहली बार नहीं है, पिछले तीन साल से इन मदों में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।
तीन साल में इनकी राशि बढ़कर दोगुनी हो गई है। इस पर शिक्षक समुदाय ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कालेज में पढ़ने वाले छात्रों से राशि लेना ठीक नहीं है। कालेज पहले से ही डेवलपमेंट फंड के नाम से उनसे राशि लेते हैं।
सुविधा और सर्विस चार्ज के लिए यह राशि 500 रुपये थी
2022 से डेवलपमेंट फंड और सुविधा व सर्विस चार्ज पर बढ़ोतरी की जा रही है। 2022 में यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड के लिए छात्र को 900 रुपये देने होते थे। सुविधा व सर्विस चार्ज के लिए यह राशि 500 रुपये थी। दोनों मदों में 1400 रुपये लिए जा रहे थे।
2023 में इसे दोनों को बढ़ाकर एक-एक हजार रुपये कर दिया गया। 2024 में इसे 1200 और 1250 कर दिया गया। अब 2025 में इसे बढ़ाकर 1500-1500 रुपये कर दिया गया है। 2023 तक आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद के लिए 150 रुपये लिए जा रहे थे। इसे बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया गया है। इसे शनिवार को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में अनुमोदित किया जाएगा।
आर्थिक रूप से कमजोर तबके के छात्रों पर भी इसका असर पड़ेगा
यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड, सुविधा व सर्विस चार्ज की राशि हर कोर्स की फीस में जुड़ती है। ऐसे में इससे लगभग हर कोर्स की फीस बढ़ जाएगी। पीएचडी की फीस में भी इसे जोड़ा जाता है। वहां भी इसका असर होगा। स्कूल आफ ओपन लर्निंग में भी इसे जोड़ा जाता है। यहां आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तबके के छात्रों पर भी इसका असर पड़ेगा।
यही नहीं विश्वविद्यालय ने सेल्फ फाइनेंस कोर्स में सुविधा और सर्विस चार्ज की राशि को बहुत अधिक रखा है। हाल में शुरू किए गए इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आइटेप) के लिए राशि 4750 रुपये रखी गई है। पांच वर्षीय विधि कार्यक्रम में इसे 25 हजार रखा गया है।
सुविधाएं एवं सर्विस चार्ज के नाम पर भारी-भरकम फीस ली जा रही
इस पर आपत्ति जताते हुए इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, एक ओर जहां कॉलेजों को आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के लिए हैफा (हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी) के पास जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्रों से डेवलपमेंट फंड और विश्वविद्यालय सुविधाएं एवं सर्विस चार्ज के नाम पर भारी-भरकम फीस ली जा रही है। विश्वविद्यालय कॉलेजों के लिए कोई भी आधारभूत संरचना नहीं बनाता।
छात्रों से कॉलेज डेवलपमेंट फंड के नाम पर शुल्क लिया जाता है
कॉलेजों में छात्रों से कॉलेज डेवलपमेंट फंड के नाम पर शुल्क लिया जाता है। एक सरकारी विश्वविद्यालय में ऐसा किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। यह धनराशि कॉलेजों को अपने पास रखने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि कालेजों में आधारभूत सुविधाएं विकसित की जा सकें, क्योंकि वर्तमान में सुविधाओं की भारी कमी है और सत्र 2025–26 से चौथा वर्ष शुरू होने जा रहा है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्र ऐसी शुल्क वृद्धि से अत्यधिक बोझ महसूस कर रहे हैं और इसके बावजूद भी उन्हें कोई ठोस लाभ नहीं मिल रहा है। लगातार हो रही बढ़ोतरी चिंता का विषय है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
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