दिल्ली में अब सड़कों पर नहीं दिखेंगे आवारा कुत्ते और गायें, मंत्री कपिल मिश्रा ने की उच्च स्तरीय बैठक
दिल्ली में बेसहारा पशुओं की समस्या को लेकर विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने उच्च-स्तरीय बैठक की। बैठक में एनिमल बर्थ कंट्रोल कार्यक्रमों में सुधार एजेंसियों के पंजीकरण पशु हेल्पलाइन की स्थापना और बुनियादी ढांचे के विकास पर चर्चा हुई। पशु चिकित्सकों के प्रशिक्षण और निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करने पर भी जोर दिया गया। मंत्री ने कहा कि जल्द ही दिल्ली में एक समग्र और मानवीय मॉडल लागू किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बेसहारा पशुओं की बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए शुक्रवार को सचिवालय में दिल्ली के विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक विशेष रूप से बेसहारा कुत्तों के प्रबंधन और कल्याण पर केंद्रित रही।
बैठक में एनिमल हस्बैंडरी यूनिट, नगर निगम के पशु चिकित्सा विभाग, और विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ कई एनजीओ और एनिमल बर्थ कंट्रोल केंद्रों (एबीसी) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। पूर्व सांसद और प्रसिद्ध पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी भी बैठक में शामिल हुईं और अपने अनुभव के आधार पर महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए।
बैठक में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में आवश्यक संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा हुई। एक प्रमुख चिंता यह रही कि एबीसी समितियों की बैठकें नियमित रूप से नहीं हो रहीं। कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए कोई मानकीकृत प्रक्रिया भी नहीं है। मंत्री ने सभी एजेंसियों के पंजीकरण और मान्यता को अनिवार्य बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
एबीसी की जिम्मेदारियों को ज़ोन-वाइज बांटने, पालतू पशुओं के प्रजनकों और दुकानों की निगरानी के लिए नियमों को लागू करने, और नसबंदी के परिणामों की आडिटिंग के लिए एक ऑर्गन-काउंटिंग टीम बनाने जैसे सुझाव भी सामने आए।
एक केंद्रीकृत पशु हेल्पलाइन स्थापित करने का सुझाव भी आया, जो आपातकालीन स्थितियों और शिकायतों के निवारण में सहायक हो। एबीसी केंद्रों और सार्वजनिक फीडिंग क्षेत्रों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखने के लिए कचरा निस्तारण के स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करने और विशिष्ट फीडिंग स्पाट चिन्हित करने पर भी चर्चा हुई।
बैठक का एक अहम विषय एबीसी केंद्रों के बुनियादी ढांचे का विकास रहा। एनजीओ ने संक्रमित या ठीक हो रहे पशुओं के लिए पृथक और क्वारंटाइन केनेल्स स्थापित करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने नसबंदी और टीकाकरण प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए पशु चिकित्सकों, हैंडलरों, पैरा-वेटेरिनेरियनों और कार्यक्रम प्रबंधकों के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में अधिकारियों को सुझाव दिया गया कि एबीसी नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ किया जाए। यह भी कहा गया कि प्रत्येक एबीसी केंद्र में एक नामित प्रबंधन समिति होनी चाहिए, जो संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करे। नसबंदी, टीकाकरण और पशु देखभाल गतिविधियों की नियमित रिपोर्ट संबंधित विभागों को सौंपना और उनकी समीक्षा करना आवश्यक है।
बैठक में यह सुझाव भी दिया गया कि इस प्रक्रिया में शामिल सभी व्यक्तियों- जैसे कुत्ता पकड़ने वाले, एनजीओ कार्यकर्ता और सरकारी अधिकारी- को मानवीय और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तरीकों से प्रशिक्षित किया जाए। यह भी कहा गया कि हर हस्तक्षेप में करुणा और संवेदनशीलता को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।
बैठक के बाद कपिल मिश्रा ने कहा, कहा, “ऐसा माडल बनाना समय की मांग है जो पशुओं के कल्याण को सुनिश्चित करे, बेसहारा पशुओं को सहारा दे, पशु प्रेमियों की चिंताओं को सुने, और साथ ही आम जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो। हम सभी हितधारकों से चरणबद्ध तरीके से मुलाकात कर रहे हैं और उन वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन कर रहे हैं, जिनसे इस समस्या का प्रभावी समाधान निकाला गया है। जल्द ही दिल्ली में एक समग्र और मानवीय माडल को मिशन मोड में लागू किया जाएगा।”
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