सितंबर में अधिक वर्षा के बावजूद प्रदूषण में सुधार नहीं, दिल्लीवासियों को किसी भी दिन नहीं मिली 'अच्छी' हवा
इस साल सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा के बावजूद दिल्ली की हवा की गुणवत्ता अच्छी श्रेणी में नहीं रही। 2024 और 2025 दोनों वर्षों में सितंबर का औसत एक्यूआई 105 दर्ज हुआ। सीपीसीबी के अनुसार इस साल सितंबर में 10 दिन संतोषजनक और 19 दिन मध्यम श्रेणी में रहे। वर्षा का मौसम खत्म होते ही एक्यूआई बिगड़ने लगता है इसलिए उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए सावधानी बरतनी होगी।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सामान्य से अधिक वर्षा के बावजूद इस वर्ष भी सितंबर में किसी दिन दिल्ली वासियों को 'अच्छी' श्रेणी की हवा नहीं मिल पाई। 2024 में भी कमोबेश यही स्थिति बनी थी।
इतना जरूर है कि 2024 में एक दिन राजधानी की वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में भी पहुंच गई थी। मगर इस साल यह 'संतोषजनक' और 'मध्यम' श्रेणी में ही रही।
अलबत्ता, 2024 और 2025 दोनों ही वर्षों में सितंबर माह का औसत एक्यूआई एक समान यानी 105 ही दर्ज हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस साल सितंबर में 'संतोषजनक' श्रेणी के दिन 10 रहे। 'मध्यम' श्रेणी के दिन सोमवार तक 19 दर्ज किए गए।
मंगलवार को माह के अंतिम दिन भी 'मध्यम' श्रेणी ही बने रहने के आसार हैं। हैरानी की बात यही कि एक भी दिन एयर इंडेक्स 50 से नीचे नहीं गया यानी हवा 'अच्छी' श्रेणी में नहीं पहुंची।
जबकि 2023 और 2022 में दोनों ही साल सितंबर में एक- एक दिन ''अच्छी'' श्रेणी की हवा भी नसीब हुई थी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस साल सितंबर में 11 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
माह की सामान्य वर्षा है 123.5 मिमी जबकि हुई है 137.1 मिमी। 2024 में सितंबर की वर्षा 56 प्रतिशत अधिक 192.5 मिमी रही थी।
2017 से 2025 तक सितंबर में कितने दिन किस श्रेणी की हवा
वर्ष | अच्छी | संतोषजनक | अच्छी | खराब |
2017 | 0 | 9 | 18 | 3 |
2018 | 0 | 13 | 16 | 1 |
2019 | 0 | 19 | 11 | 0 |
2020 | 0 | 9 | 21 | 0 |
2021 | 0 | 27 | 3 | 0 |
2022 | 1 | 11 | 18 | 0 |
2023 | 1 | 9 | 20 | 0 |
2024 | 0 | 18 | 11 | 1 |
2025 (29 सितंबर तक) | 0 | 10 | 19 | 0 |
वर्षा का मौसम खत्म होते ही एक्यूआई बिगड़ने लगता है। आमतौर पर वर्षा का मौसम सितंबर के मध्य तक खत्म हो जाता है। इस साल भी ऐसा ही हुआ।
वर्षा में धूल कण जमा हो जाते हैं जिससे आसमान साफ हो जाता है और सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर अधिक आ पाती हैं।
आसमान जितना साफ होगा, सूर्य की रोशनी उतनी ही अधिक अंदर तक पहुंच पाएगी, जिससे निचले वायुमंडल में वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन आक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसे उत्सर्जन की उपस्थिति में ओजोन का निर्माण होगा।
आने वाले माह में उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
-डाॅ. डी साहा, पूर्व अपर निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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