छठ पर्व को लेकर सीएम रेखा गुप्ता का बड़ा कदम, दिल्ली में यमुना के दोनों किनारों पर कर सकेंगे पूजा
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यमुना नदी के दोनों किनारों पर छठ पूजा के आयोजन की घोषणा की है। सरकार व्रतधारियों के लिए विशेष प्रबंध करेगी ताकि उन्हें कोई असुविधा न हो। यमुना के प्रवेश स्थल पल्ला से ओखला तक दोनों किनारों पर छठ पर्व का आयोजन किया जाएगा जहां सरकार उचित सुविधाएं प्रदान करेगी। अधिकारियों को सफाई सुरक्षा और यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि आस्था का छठ पर्व इस बार यमुना नदी के दोनों किनारों पर आयोजित किया जाएगा। ऐसा दिल्ली में पहली बार होगा।
यमुना के किनारों पर छठ पूजा को लेकर विशेष प्रबंध किए जाएंगे ताकि व्रत करने वालों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि यमुना नदी के अलावा जहां कहीं भी छठ पूजा का आयोजन होगा, सरकार वहां पूरी व्यवस्था की निगरानी करेगी।
मुख्मयंत्री के अनुसार आस्था, प्रकृति और भावनाओं से जुड़े इस पर्व को सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित ढंग से मनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।
यमुना में विसर्जन की मनाही है, पूजा की नहीं
छठ पर्व की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को दिल्ली सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में सरकार के कैबिनेट मंत्री आशीष सूद, कपिल मिश्रा, मुख्य सचिव धमेंद्र के अलावा संबंधित विभागों के आला अधिकारी उपस्थित थे।
छठ पर्व की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से बातचीत की, जानकारी ली और आवश्यक निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री ने बताया कि नियमों के अनुसार यमुना नदी में विसर्जन की मनाही है और छठ पर्व के अनुष्ठानों में विसर्जन का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि राजधानी में पूर्वांचलवासियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, इसलिए उनकी धार्मिक आस्था व सुविधा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में यमुना के प्रवेश स्थल पल्ला से लेकर अंतिम स्थल ओखला तक दोनों किनारों पर छठ पर्व का आयोजन किया जाएगा।
इन दोनों किनारों पर जहां भी छठ पर्व के लिए समतल किनारे उपलब्ध होंगे, वहां सरकार की ओर से व्रतधरियों को समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
पल्ला से ओखला तक होंगे विशेष इंतजाम
मुख्यमंत्री ने कहा कि पल्ला से लेकर वजीराबाद तक के किनारों पर तो विशेष व्यवस्था की ही जाएगी, साथ ही आईटीओ, ओखला जैसे पुराने स्थलों पर भी व्यवस्थाएं और दुरुस्त की जाएंगी।
मुख्यमंत्री के अनुसार अधिकारियों को आदेश जारी किए गए हैं कि छठ पूजा के दौरान वहां सफाई व स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाए, व्रतधारियों व स्वजन को धूल आदि की परेशानी से बचाने के लिए पानी का छिड़काव किया जाए।
पुलिस व ट्रैफिक पुलिस को वहां सुरक्षा व यातायात व्यवस्था चौकस रखने के आदेश जारी किए गए हैं। आवश्यकता हुई तो पूजा स्थलों पर चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग को छठ पर्व से पूर्व यमुना से जलकुंभी निकालने के भी आदेश जारी किए गए हैं। इस बार इन स्थलों पर प्रकाश की विशेष व्यवस्था की जाएगी ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
छठ के अन्य घाटों का भी ध्यान रखेगी सरकार
मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली में यमुना के किनारो के अलावा मुनक नहर, मुंगेशपुर ड्रेन के अलावा कृत्रिम तालाबों में भी छठ पूजा आयोजित की जाती है। राजधानी में कुल मिलाकर 929 स्थलों पर पूजा-अर्चना की जाती है।
इन स्थलों पर सरकार की ओर से समुचित व्यवस्थाएं की जाएंगी। अगर किसी संस्थान को एनओसी चाहिए तो उसे भी बिना किसी परेशानी के दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों बाद वह यमुना नदी व अन्य स्थानों का दौरा करेंगी, ताकि तैयारियों की किसी प्रकार की कमी न रहने पाए।
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे विशेष स्थान भी चिह्नित किए जाएंगे, जहां छठ पूजा का विशेष आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि अगर यमुना में अतिरिक्त पानी की जरूरत होगी तो हरियाणा सरकार से निवेदन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि छठ महापर्व पूर्वांचलवासियों की आस्था और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है और इसे पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाने के लिए दिल्ली सरकार पूरी तरह तैयार है।
यह पर्व हमें प्रकृति और स्वच्छता के प्रति हमारी जिम्मेदारी का स्मरण कराता है। दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस बार श्रद्धालुओं को छठ पर्व पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हों और पर्व का आयोजन स्वच्छ, सुरक्षित और भव्य रूप में हो।
कोरोना के समय से यमुना तट पर छठ पूजा पर लगी थी रोक
यहां बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान यमुना तट पर छठ पूजा का आयोजन रोक दिया गया था, बाद में भी इस प्रतिबंध को जारी रखा गया।
प्रतिबंध के कारण पिछले कुछ वर्षों में पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर अस्थायी छोटे पानी के टैंक बनाकर उत्सव मनाने का चलन बढ़ा है।
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