धारा 377 का हटाया जाना और तीन तलाक पर रोक पढ़ेंगे CBSE छात्र... पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएंगे नए आपराधिक कानून
सीबीएसई ने 2026-27 सत्र से 11वीं और 12वीं के कानून विषय में नए आपराधिक कानून तीन तलाक पर रोक और धारा 377 जैसे बदलावों को शामिल करने का निर्णय लिया है। पाठ्यक्रम में भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता पढ़ाई जाएगी। इसका उद्देश्य छात्रों को कानूनी साक्षरता और न्यायिक सुधारों की गहरी समझ प्रदान करना है। नई किताबें आधुनिक शैली में तैयार की जाएंगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देश के कानूनी ढांचे में हाल के वर्षों में हुए बड़े बदलाव अब स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।
CBSE ने निर्णय लिया है कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से 11वीं और 12वीं को नए आपराधिक कानून, तीन तलाक पर रोक, धारा 377 का निरस्तीकरण और उपनिवेशकालीन कानूनों को हटाने जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे।
सीबीएसई की पाठ्यक्रम समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसे जून में बोर्ड की गवर्निंग बाॅडी ने भी स्वीकृति दे दी।
बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए के बारे में पढ़ेंगे
इसके तहत छात्रों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के बारे में पढ़ाया जाएगा, जो 2023-24 में लागू हुए।
सीबीएसई के अधिकारियों के अनुसार, कानून विषय की किताबें करीब वर्ष साल पहले तैयार की गई थीं, लेकिन तब से देश के कानूनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं।
इनमें तीन तलाक पर संसद द्वारा 2019 में लगाया गया प्रतिबंध, धारा 377 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 में असंवैधानिक घोषित करना और देशद्रोह कानून (राजद्रोह) की समाप्ति जैसे ऐतिहासिक कदम शामिल हैं।
बदलावों को पाठ्क्रम में शामिल करने को बनेगी समिति
बैठक की कार्यवाही के अनुसार, इन बदलावों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी। इसके साथ ही, एक कंटेंट डेवलपमेंट एजेंसी को नियुक्त करने पर भी विचार हो रहा है, ताकि अगले सत्र के लिए अपडेटेड किताबें समय पर तैयार हो सकें।
सीबीएसई का कहना है कि नई किताबें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आधुनिक और आकर्षक शैली में तैयार की जाएंगी, ताकि छात्रों को कानूनी साक्षरता के साथ-साथ कानून के बदलते स्वरूप की गहरी समझ मिल सके।
पहले कानून विषय कुछ ही स्कूलों में पढ़ाया जाता था
सीबीएसई ने कानून विषय को 2013 में 11वीं और 2014 में 12वीं के लिए पेश किया था। शुरू में इसे कुछ ही स्कूलों में एक वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता था।
लेकिन समय के साथ यह उन छात्रों के लिए एक अहम विकल्प बन गया है, जो आगे चलकर कानून, पब्लिक पाॅलिसी या प्रशासनिक सेवाओं के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं।
अप्रैल 2024 में, शिक्षा निदेशालय ने इसे 29 और स्कूलों में शुरू करने की मंजूरी दी थी और प्राचार्यों को सीबीएसई के निर्देशानुसार आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने को कहा था।
सीबीएसई अधिकारियों का मानना है कि नए पाठ्यक्रम से न केवल छात्रों को मौजूदा कानूनों की जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें भारत के न्यायिक सुधारों की दिशा और उनकी सामाजिक प्रासंगिकता को भी समझने का मौका मिलेगा।
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