सुध तो लो हमरी सरकार! पेड़ों की जड़ें बंद, शाखाओं पर ठोंकी जा रही कील... नहीं किसी को फिक्र
आज पर्यावरण दिवस है लेकिन दिल्ली में पेड़ों की हालत चिंताजनक है। आइजीआइ एयरपोर्ट पर पेड़ों की जड़ें बंद हैं तो नजफगढ़ रोड पर लोग पेड़ों में कीलें ठोंक रहे हैं। कृषि अनुसंधान संस्थान में पेड़ों को चारदीवारी में कैद कर दिया गया है। इन पेड़ों को तत्काल देखभाल की जरूरत है ताकि ये अपना अस्तित्व बचाए रख सकें।

गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। आज पर्यावरण दिवस है। कम से कम आज हम सभी को उन पेड़ों की हालत पर गौर करना चाहिए, जिनकी देखभाल नहीं हो रही है और जो चुपचाप धीरे धीरे अपने अस्तित्व को खोते चले जा रहे हैं।
बाहर से ये पेड़ भले ही हरे-भरे नजर आएं, लेकिन अंदर ही अंदर जरुर इन्हें किसी न किसी तरह की समस्या से दोचार होना पड़ रहा होगा।
आइए, आईजीआई एयरपोर्ट का रुख करते हैं। पर्यावरण को लेकर एयरपोर्ट संचालन एजेंसी डायल समय-समय पर कई तरह के वादे करती रहती है।
कार्बन को सोखने वाले पेड़ों की ही हो रही अनदेखी
कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कई तरह के प्रयास यहां हो रहे हैं, लेकिन बड़े-बड़े पेड़ जो कार्बन को सोखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, कहीं न कहीं उनके साथ वह व्यवहार नहीं हो रहा है, जिनके वे हकदार हैं।
यकीन न आए तो टर्मिनल 3 की बहुमंजिला पार्किंग के किनारे से विमान निर्माता कंपनी एयरबस के कार्यालय की तरफ पैदल चलें। सड़क किनारे पर आपको एक के बाद एक कई ऐसे पेड़ नजर आएंगे जिनकी जड़ें बंद हैं।
कुछ ऐसे भी पेड़ हैं जिनकी जड़ों के आसपास कंक्रीट भरे मिलते हैं। यहां बहुमंजिला पार्किंग के पीछे एक जंगल है, जहां आपको मलबा, प्लास्टिक का कचरा या बहुत सी ऐसी चीजें मिल जाएंगी जो पेड़ों की जड़ों के आसपास फैले हैं।
डायल ने रखा अपना पक्ष
एयरपोर्ट संचालन एजेंसी डायल के अनुसार, जिन पेड़ों की जड़ों को बंद कहा जा रहा है, उन्हें कंक्रीट से बंद नहीं किया गया है इनके चारों ओर इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछाई गई हैं।
यदि कहीं लापरवाही है तो उसे दूर किया जाएगा। डायल का दावा है कि पेड़ों को बचाने का हरसंभव प्रयास किया जाता है।
अब आईजीआई एयरपोर्ट से थोड़ी दूर दिल्ली के राजौरी गार्डन की ओर चलते हैं। राजौरी गार्डन से गुजरने वाली दिल्ली की प्रमुख सड़क नजफगढ़ रोड के किनारे आपको नीम के बड़े-बड़े पेड़ दिखाई देंगे।
नीम के इन बड़े बड़े पेड़ों का इस्तेमाल लोग अपनी अपनी मर्जी से कर रहे हैं। इनमें जहां तहां कीलें ठोंकी जा रही हैं। पेड़ की शाखाओं व मुख्य तने का इस्तेमाल बिजली के तारों को लपेटने में किया जा रहा है।
पेड़ में कील ठोक फिट किया सीसीटीवी कैमरा
एक जगह तो पेड़ में कील ठोंककर सीसीटीवी कैमरे फिट कर दिया गया है। कई जगह पेड़ की जड़ पर दुकानें चलाई जा रही हैं। इनमें ढाबा, सैलून, मोटर वर्क्स शाप सब कुछ है। नियम के मुताबिक ऐसा नहीं होना चाहिए।
अब पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर चलते हैं। यहां की हरियाली आकर्षित करने वाली है, लेकिन जब लापरवाही पर आपकी नजर जाएगी तो आप निश्चित तौर पर दुखी होंगे।
पूरी तरह विकसित पेड़ों के तने को चारदीवारी की आड़ में बंद कर दिया गया है। ये जो पेड़ की जिद है कि वह अपना अस्तित्व बचाकर रखे हुए है।
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