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    National Herald Case: राहुल गांधी की तरफ से कोर्ट में दलील, संस्‍था को बेचने का नहीं बचाने का कर रहे थे प्रयास

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 02:04 PM (IST)

    नेशनल हेराल्ड मनी लांड्रिंग मामले में शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की मंशा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियां बेचने की नहीं थी बल्कि इस ऐतिहासिक संस्था को बचाने की थी।

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    कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से वकील आरएस चीमा ने राउज एवेन्यू अतिरिक्त सत्र में पक्ष रखा।

    नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मनी लांड्रिंग मामले में शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की मंशा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियां बेचने की नहीं थी बल्कि इस ऐतिहासिक संस्था को बचाने की थी, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विरासत से जुड़ी रही है।

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    नेशनल हेराल्ड मात्र अखबार नहीं...

    चीमा ने अदालत में कहा कि एजेएल नेशनल हेराल्ड जैसे अखबार प्रकाशित करने वाला केवल एक व्यावसायिक संगठन नहीं रहा, बल्कि यह स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक रहा है। उनकी दलील थी कि कांग्रेस की कोशिश थी कि यह संस्था जीवित रहे और उससे जुड़ी ऐतिहासिक विरासत खत्म न हो।

    ईडी पर कसा तंज

    अध‍िवक्‍ता चीमा ने कोर्ट में ईडी पर तंज कसते हुए सवाल किया कि ईडी एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (एमओए) कोर्ट में रखने से क्यों हिचक रही है? चीमा ने तर्क दिया कि एजेएल कांग्रेस की विचारधारा का विस्तार था। इसकी स्थापना वर्ष 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू, जेबी कृपलानी, रफी अहमद किदवई और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई थी। एजेएल का एमओए साफ कहता है कि उसकी नीति वही होगी जो कांग्रेस पार्टी की नीति होगी।

    उन्होंने दलील दी कि एजेएल ने कभी मुनाफा नहीं कमाया और आजादी के बाद से यह कभी व्यावसायिक संस्था नहीं रही। चीमा ने दलील दी कि कांग्रेस मुनाफा कमाने या बिक्री करने नहीं, बल्कि उस संस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत थी जो आजादी के आंदोलन की विरासत का हिस्सा रही है।

    चीमा ने दलील दी कि एजेएल को दिया गया 90 करोड़ रुपये का कर्ज वापस लेना उद्देश्य नहीं था, बल्कि उसका पुनरुद्धार प्राथमिकता थी। अत: यह मामला पूरी तरह से एक टेढ़ी नजर से देखे गए तथ्य की तरह है।

    सोनिया गांधी की तरफ से सिंघवी ने दी थी दलील

    इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा था कि यह पूरा मामला मनी लांड्रिंग का नहीं है क्योंकि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिससे किसी तरह का निजी लाभ संभव ही नहीं है। उन्‍होंने अपनी दलील में यह भी कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लगाए सभी आरोप मनगढ़ंत और बेबुन‍ियादी हैं। 

    चीमा ने कहा- संस्था को कर्जमुक्त करना उद्देश्य

    शनिवार को चीमा ने सिंघवी के इसी तर्क को आगे बढ़ाया। उन्होंने अदालत में कहा कि एआईसीसी का उद्देश्य किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ लेना नहीं था। मकसद सिर्फ यह था कि एजेएल को संरक्षित किया जाए और उसे कर्ज से मुक्त किया जाए।

    ईडी ने लगाया है मनी लांड्रिंग का आरोप

    उधर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा समेत अन्य नेताओं ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को धोखाधड़ी से अपने नियंत्रण में लेकर मनी लांड्रिंग की साजिश रची थी। अब वकील इन्‍हीं आरोपों को झुठलाने का प्रयास कर रहे हैं।

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