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    सिर्फ दवा ही नहीं, आहर-विहार में बदलाव से नियंत्रित होंगी जीवनशैली की बीमारियां; आयुष पर परिचर्चा में आए जरूरी सुझाव

    Updated: Fri, 02 Feb 2024 10:44 PM (IST)

    विशेषज्ञों ने चार दिवसीय राष्ट्रीय आरोग्य मेले के दूसरे दिन जीवनशैली से संबंधित रोगों के लिए आयुष विषय पर विस्तार से चर्चा हुई। इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ दवा काफी नहीं है। बल्कि लोगों को अपने आहार-विहार में भी बदलाव करना पड़ेगा। मोटापे की समस्या पता होने के बावजूद उसे कम करने के लिए ज्यादातर लोग इसे कम करने के लिए प्रयास नहीं करते।

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    आहर-विहार में बदलाव से नियंत्रित होंगी जीवनशैली की बीमारियां

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल के रोग, कैंसर, तनाव, अवसाद इत्यादि जैसी जीवनशैली की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। दुनिया भर में हर वर्ष चार करोड़ लोगों की इन बीमारियों के कारण मौत हो जाती है। भारत में भी संक्रामक बीमारियों की जगह जीवनशैली से जुड़ी गैर संचारी बीमारियां बड़ी समस्या बन चुकी हैं।

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    आयुष विषय पर विस्तार से हुई चर्चा

    इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ दवा काफी नहीं है। बल्कि लोगों को अपने आहार-विहार में भी बदलाव करना पड़ेगा। तभी यह बीमारियां नियंत्रित होंगी। यह निचोड़ है, दैनिक जागरण समूह के श्री पूरन चन्द्र गुप्ता स्मारक ट्रस्ट और आयुष मंत्रालय के तत्वावधन में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय आरोग्य मेले के दूसरे दिन आयोजित परिचर्चा की। जिसमें विशेषज्ञों ने जीवनशैली से संबंधित रोगों के लिए आयुष विषय पर विस्तार से चर्चा हुई।

    इस परिचर्चा का संचालन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की निदेशक डा. तनुजा नेसारी ने की। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्ष में एआइआइए में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित पांच लाख से अधिक मरीजों को ठीक किया गया है, जिसमें डायबिटीज 51 हजार मरीज शामिल हैं। गठिया के मरीजों का भी सफल इलाज हुआ है।

    मोटापा कम करने के लिए लगानी होगी दौड़

    आयुष से सामान्य कोल्ड से लेकर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल की बीमारियों, कैंसर, कोरोना इत्यादि सभी बीमारियों का इलाज संभव है। आयुष पद्धति हमारी धरोहर है। मोटापे की कोई गोली नहीं है। मोटापा कम करने के लिए सुबह में दौड़ लगानी ही पड़ेगी। एनसीआईएसएम (भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग) के चेयरमैन वैद्य जयंत देव पुजारी ने कहा कि यदि हमें अपनी जीवनशैली की समस्या मालूम हो तो बहुत सारी बीमारियां दूर हो सकती हैं।

    मोटापे की समस्या पता होने के बावजूद उसे कम करने के लिए ज्यादातर लोग इसे कम करने के लिए प्रयास नहीं करते। इसलिए प्रयास प्रारंभ करना सबसे महत्वपूर्ण है। स्कूली शिक्षा में आयुष को शामिल करने पर विचार चल रहा है। ताकि स्कूली बच्चे आयुष के फायदे से अवगत हो सकें और उसे अपना सकें। इसके अलावा आयुष की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए वर्ष 2030 को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए हैं।

    आयुष मंत्रालय की सलाहकार (होम्योपैथी) संगीता दुग्गल ने कहा कि होम्योपैथी में दिल की बीमारियों, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कैंसर सबका इलाज है। आयुष मंत्रालय और एम्स ने इंटिग्रेटिव मेडिसिन का विभाग शुरू करने के लिए समझौता किया है। इंटिग्रेटिव मेडिसिन समय की जरूरत है। खराब जीवनशैली के कारण गैर संचारी बीमारियां संक्रामक बीमारियों को पीछे छोड़ चुकी हैं।

    जीवनशैली ठीक करना खुद की जिम्मेदारी

    इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ दवा काफी नहीं है। जीवनशैली का ध्यान रखना होगा। सरकार बीमार होने पर दवा दे सकती है, जीवनशैली ठीक करना खुद की जिम्मेदारी है। एआईआईए के डीन डॉ. महेश ब्यास ने कहा कि बीमार होने पर औषधि दी जाती है। यदि आहार अच्छा हो तो बीमारियां होगी ही नहीं। तीन नियम है। पहला आहार की मात्रा निर्धारित होनी चाहिए। दूसरा खाने का समय निर्धारित होना चाहिए। तीसरा आयुर्वेद में कहा गया है कि आहार ऐसा हो जिससे कोई परेशानी न हो। आयुर्वेद का पालन करने पर लोग निश्चित रूप से स्वस्थ रहेंगे।

    एआईआईए के काय-चिकित्सा डॉ. रमाकांत यादव ने कहा कि जीवनशैली खराब है तो उसका असर एक दिन में नहीं दिखता। खराब जीवनशैली के कारण गठिया की बीमारी भी बढ़ रही है। जोड़ो की समस्या से पीड़ित 1500 रोगियों पर एक अध्ययन किया। जिसमें पाया गया कि गांवों भी गठित की बीमारी ज्यादा है। ठंड के मौसम में परेशानी बढ़ जाती है। उन्हें दवाएं दी गई। इसका लोगों के स्वास्थ्य पर बेहतर असर देखा गया है। लोगों में भी आयुष के प्रति भरोसा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को भी सूरज के साथ चलना चाहिए। सूर्योदय से पहले जगना चाहिए और संभव हो तो सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। रात आठ बजे के बाद तो खाना बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।