Mustafabad Building Collapse: दिल्ली में किसकी लापरवाही से ढहते हैं मकान, बिल्डरों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम?
मुस्तफाबाद में इमारत गिरने से हुई मौतों ने दिल्ली-एनसीआर में अवैध निर्माण का मुद्दा फिर उठा दिया है। रेरा के आने से कुछ हद तक लगाम लगी है लेकिन अनियोज ...और पढ़ें

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। Mustafabad Building Collapse: मुस्तफाबाद में चार मंजिला इमारत गिरने और इस हादसे में 11 लोगों की मौत ने एक बार फिर एनसीआर के शहरों में प्रशासन/प्राधिकरण, नेताओं और बिल्डरों की मिलीभगत से अवैध निर्माण का मुद्दा गरमा दिया है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि यह सब रोकने के क्या उपाय हैं? बिल्डरों की मनमानी से बचाकर सुनियोजित विकास को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है?
मामलों पर कुछ हद तक लगी लगाम
मेरा मानना है कि रेरा की सक्रियता के बाद इस तरह के मामलों पर कुछ हद तक लगाम लगी है। बिल्डरों की जवाबदेही भी बढ़ी है। भविष्य में इस स्थिति में और सुधार की संभावना है। लेकिन यह तो नियोजित क्षेत्रों की स्थिति है, अनियोजित क्षेत्रों में तो स्थिति बहुत खराब है।
इसके लिए आम जनता का जागरूक होना भी उतना ही जरूरी है। कई बार जनता की सक्रियता और जागरूकता से ही कोई व्यवस्था सुनिश्चित हो पाती है।
दिल्ली-एनसीआर के किसी भी इलाके की बात करें तो हर जगह दो तरह के इलाके हैं। एक प्लांड और दूसरा अनप्लांड। जहां तक प्लांड इलाकों की बात है जैसे गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा... यहां पर विकास एजेंसी का सीधा हस्तक्षेप होता है और बिना नक्शा पास कराए कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता। नक्शा पास कराने की जिम्मेदारी वहां की स्थानीय निकाय की होती है।
अगर वहां कोई निजी बिल्डिंग है या कोई अपना घर बना रहा है तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर एरिया 500 मीटर से ज्यादा है या उसमें 8 या उससे ज्यादा यूनिट हैं तो वहां पर भी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। तभी बाद में प्रॉपर्टी बेची जा सकेगी, वरना नहीं।
यहां उत्पन्न हो रही समस्याएं
जो समस्या आ रही है, वह अनियोजित क्षेत्र में है। यानी लालडोरा की जमीन और गांवों के इलाके। लालडोरा इलाका दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर में भी है। इन इलाकों में किसी तरह का कोई नियम-कानून देखने को नहीं मिलता। उदाहरण के लिए दिल्ली में महरौली और लाडो सराय का इलाका। यहां दो सौ मीटर जगह पर आठ मंजिला मकान बने हुए हैं। कभी कोई कार्रवाई नहीं होती।
सरकार को चाहिए कि नियमों के विरुद्ध किए गए निर्माण कार्यों को अलग रखे और कम से कम कोई नया अवैध निर्माण न होने दे। यह सुनिश्चित करना होगा कि लालडोरा क्षेत्र में बिना लिखित अनुमति के कोई अवैध निर्माण न हो। भ्रष्टाचार की जड़ें अनियोजित क्षेत्र में सबसे गहरी हैं। यहां लोग स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से अपनी मर्जी से अवैध निर्माण करते हैं।
कैसे लगेगी इस पर लगाम?
हालांकि ऐसा नहीं है कि इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य को रोका नहीं जा सकता। इसे रोका जा सकता है, लेकिन पुलिस और स्थानीय अधिकारी मिलीभगत करके अपनी जेबें भरकर सब कुछ होने देते हैं।
शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी ऐसी ही कार्रवाई होनी चाहिए। बिना नक्शा पास कराए किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं होनी चाहिए। वहां अवैध निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए। पुराने अवैध निर्माणों के बारे में भी सर्वे कराया जाना चाहिए।
मेरा मानना है कि अगर पहले से बनी हुई इमारतों और बसाई गई कॉलोनियों को न छुआ जाए और भविष्य में निर्माण पर रोक लगा दी जाए तो यह पर्याप्त होगा। स्थानीय सीमांकन करें कि कहां निर्माण प्रतिबंधित होगा। निर्माण के मानकों को भी सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
अगर नई इमारतों को भी भूकंपरोधी बनाया जाए तो इससे भी मौजूदा स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। सरकारों को भी वोट बैंक की राजनीति छोड़कर कभी-कभी जनहित को ध्यान में रखकर फैसले लेने चाहिए। जब तक वोट बैंक की राजनीति जारी रहेगी, समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाएगा।
-बलविंदर कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए)
संजीव गुप्ता से बातचीत पर आधारित।
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