Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीओजेके में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने जताई चिंता, UN से दखल की मांग

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 08:11 PM (IST)

    मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने पीओजेके में पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग की है। एमआरएम ने पीओजेके के प्रताड़ित मुस्लिमों के साथ भारतीय मुस्लिम समाज को एकजुट होने का आह्वान किया। शाहिद सईद ने कहा कि पीओजेके भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। एमआरएम इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा।

    Hero Image
    पीओजेके में बर्बरता मामले में एमआरएम ने की यूएन से दखल की मांग। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में पाकिस्तानी सेना व पुलिस के दमन मामले में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने संयुक्त राष्ट्र तथा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दखल की मांग की है। साथ ही इस मामले में पीओजेके के प्रताड़ित मुस्लिमों के साथ देश के मुस्लिम समाज के भी खड़े होने का आह्वान किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अत्याचार के खिलाफ खुलकर बोलें

    एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने जोर देकर कहा कि पीओजेके के लोगों का दर्द अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वह भारत का अभिन्न हिस्सा हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अत्याचार के खिलाफ खुलकर बोलना होगा। यह केवल क्षेत्र विशेष की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की लड़ाई है।

    पीओजेके मामले को लेकर एमआरएम की आपात बैठक हुई, जिसमें तय हुआ कि पाकिस्तानी सेना की बर्बरता को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाएगा। बैठक में शाहिद सईद के साथ ही डाॅ. शाहिद अख्तर, विराग पाचपोर, डा. शालिनी अली, मोहम्मद अफजल, सैयद रजा हुसैन रिजवी, हबीब चौधरी, गिरीश जुयाल, इस्लाम अब्बास, अबूबकर नकवी, एसके मुद्दीन और इरफान अली पीरजादा जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए।

    बंदूक के साए में रखते हैं कैद

    डाॅ. शाहिद अख्तर ने कहा कि पीओजेके के लोग सस्ती बिजली, आटा, रोजगार और आत्मनिर्णय जैसे बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान ने उसका जवाब गोलियों और लाठियों से दिया है। यह क्रूरता उस देश की दोहरी मानसिकता को उजागर करती है। पाकिस्तान विफल राष्ट्र बन चुका है, जहां लोगों को बंदूक के साए में कैद रखा जाता है।

    डाॅ. शालिनी अली ने पाकिस्तान के रवैये पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि वहां महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भय के साए में जी रहे हैं। वहां पड़ोसी मुल्क आतंक और दमन फैला रहा है। साथ ही इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद कर पीड़ितों की आवाज को दबाया जा रहा है। हम गुलाम कश्मीर के पीड़ितों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़े हैं।

    यह भी पढ़ें- दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा- दस्तावेज कहां है ? जिसे निरस्त करें... हिंदू से बौद्ध बने लोगों को आरक्षण पर उठाया था सवाल