Delhi का एक गांव ऐसा भी... जहां मानसून आते ही बड़ी मुश्किल में आ जाते हैं किसान, इस बार जगी ये उम्मीद
पश्चिमी दिल्ली के रावता गांव में मानसून किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। खेतों में पानी भरने से खेती मुश्किल हो गई है। नजफगढ़ ड्रेन के ओवरफ्लो होने से यह समस्या और बढ़ जाती है। ग्रामीण नाले की सफाई और बांध बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें इस मुसीबत से छुटकारा मिल सके। प्रशासन ने जल्द ही समाधान निकालने का आश्वासन दिया है।

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। हर साल मानसून का आगमन रावता गांव के किसानों के लिए आने वाली मुसीबत की आहट है। वर्षा के आते ही गांव के खेत जल से लबालब भर जाते हैं। पानी इतनी मात्रा में लगातार जमा रहता है कि यह खेती करने के लायक ही नहीं रहती है।
बताया गया कि कम से कम 300 एकड़ खेत तो ऐसा है जो साल के अधिकांश महीने पानी से भरा रहता है। इस साल जब वर्षा का दौर शुरू हुआ तो हर बार की तरह खेत पानी में डूबने लगे। आखिर ऐसा कब तक होगा। इस समस्या से किसानों को कब छुटकारा मिलेगा। इन प्रश्नों की आस में बैठे रावता के किसानों को तब एक उम्मीद नजर आई जब प्रशासन व नेताओं ने इनकी सुध ली।
वहीं, हाल ही में गांव का दौरा क्षेत्रीय सांसद कमलजीत सहरावत ने दक्षिणी पश्चिमी जिलाधिकारी (डीएम), कापसहेड़ा के एसडीएम व मटियाला के विधायक व सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किया।
आखिर क्यों भरता है पानी
रावता के ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या करीब ढाई दशक से है, जो समय के साथ कम होने के बजाय बढ़ रही है। गांव के किनारे से नजफगढ़ ड्रेन गुजरता है। ढांसा रेग्यूलेटर से शुरू होकर यह ड्रेन यमुना में जाकर गिरता है। किसी जमाने में यह साहिबी नदी हुआ करती थी।
करीब छह दशक पहले जब दिल्ली बाढ़ की चपेट में आई थी, तब इसके दोनों ओर बांध बना दिया गया। लेकिन रावता के नजदीक करीब ढाइ किलोमीटर के हिस्से में केवल एक ही किनारे पर बांध है। जिस किनारे पर बांध नहीं है उसका कुछ हिस्सा दिल्ली व कुछ हिस्सा हरियाणा में आता है।
समय के साथ जब शहरीकरण बढ़ा, इलाके की आबादी बढ़ी तो जलनिकासी एक बड़ी समस्या बनी। तब शहरी बरसाती नालों का निकास नजफगढ़ नाले में कर दिया गया। इधर दिल्ली देहात के भी जो गांव इस क्षेत्र में है, उसके नालों की निकास भी इसी ड्रेन में कर दी गई। जब पानी की मात्रा ड्रेन में बढ़ती है ताे यही पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में फैल जाता है। वर्षा के समय यह स्थिति पूरी तरह विकराल रूप ले लेती है।
क्या है उपाय
ग्रामीणों ने यहां सांसद व अधिकारियों को बताया कि दो स्तरों पर उपाय होने जरुरी है। एक तो नजफगढ़ नाले की इस क्षेत्र में गहराई अधिक की जानी चाहिए ताकि इसकी जलग्रहण क्षमता अधिक हो। ऐसा गाद निकालकर भी किया जा सकता है। दूसरा ड्रेन के दूसरी ओर बांध बने, इसे लेकर प्रयास तेज होने चाहिए। इसके लिए दिल्ली व हरियाणा सरकार आपस में बात करे।
ग्रामीणों ने अधिकारियों को यह भी बताया कि नजफगढ़ ड्रेन में जहां जहां नए पुल बने हैं, वहां जो गाद एकत्रित थी, उसकी सही से सफाई नहीं हुई है। गाद जमा होने के कारण ड्रेन का बहाव बाधित हो रहा है, जिसका असर रावता में पानी के ओवरफ्लो होने के रूप में सामने आता है।
दौरे से क्या होगा फायदा
बड़ा सवाल है कि आखिर इस दौरे का क्या फायदा होगा। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कोई ठोस आश्वासन किसी से नहीं मिला। सांसद ने नुकसान का जायजा लिया, जिससे मुआवजे को लेकर एक उम्मीद जरुर जगी। मुआवजा अच्छी बात है, लेकिन बात तो तब बने, जब इस समस्या का स्थायी समाधान हो।
उधर, अधिकारियों का कहना है कि स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन प्रयास की जरुरत है। अच्छी बात यह है कि प्रयास शुरु हो चुका है।
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