देश के पहले ओलिंपिक स्तर के मोंडो ट्रैक पर दौड़ रही लापरवाही, बनाने में खर्च हुए थे 25 करोड़ रुपये
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 25 करोड़ की लागत से बने मोंडो ट्रैक में खामियां पाई गई हैं। ट्रैक समतल नहीं होने से एथलीटों को परेशानी हो रही है और चोट लगने का खतरा है। कांच के टुकड़े भी मिले हैं। भारतीय पैरालंपिक समिति इसे ठीक कराने की बात कह रही है। इस मुद्दे के उजागर होने से देश की प्रतिष्ठा पर आंच आ सकती है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में करीब 25 करोड़ रुपये की लागत से देश का पहला ओलिंपिक मोंडो ट्रैक तैयार किया गया है। बृहस्पतिवार से यहां विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप भी शुरू हो गई है। लेकिन फिलहाल इस ट्रैक लापरवाही दौड़ती नजर आ रही है।
करीब 25 करोड़ की लागत से तैयार यह ट्रैक समतल नहीं हो पाया है। यह स्थिति न केवल एथलीटों की मेहनत पर पानी फेर सकती है बल्कि देश की प्रतिष्ठा को भी आंच पहुंचा सकती है। असमतल ट्रैक पर दौड़ने से एथलीट गिर सकते हैं। इससे चोटें भी आ सकती हैं। असमतल वाली जगह पर पैर जाने से एथलीट की गति कम हो सकती है। हालांकि मामला उजागर होने के बाद भारतीय पैरालंपिक समिति इसे ठीक कराने की बात कह रही है।
दुनिया के 100 से अधिक देशों के खिलाड़ी भारत आ चुके हैं और वे इसी ट्रैक पर प्रशिक्षण भी ले रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खामी की गूंज उठती है तो यह न सिर्फ भारतीय पैरा एथलीटों की तैयारियों को प्रभावित करेगी बल्कि देश की छवि पर भी गहरा असर डाल सकती है।
वहीं, खेल के क्षेत्र में यह आयोजन भारत के लिए एक सुनहरा मौका था, जहां हम न सिर्फ अपनी मेजबानी बल्कि अपनी व्यावसायिकता और विश्वसनीयता भी दिखा सकते थे।
ट्रैक पर मिले कांच के टुकड़े
मोंडो ट्रैक पर गुरुवार सुबह अभ्यास करने पहुंचे विदेशी और भारतीय खिलाड़ियों को दौड़ते वक्त कांच के टुकड़े मिले। जैसे ही एथलीटों ने यहां पड़े कांच के टुकड़े देखे उन्होंने अभ्यास को रोक कर पूरा ट्रैक चैक किया।
जर्मनी ने बनाया है मोंडो ट्रैक
जर्मनी की कंपनी ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में भारतीय कामगारों की मदद से 400 मीटर लंबा मोंडो ट्रैक बनाया है। साथ ही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स (डब्ल्यूपीए) ने इस ट्रैक को असमतल होते हुए भी प्रतियोगिता करने की इजाजत दी है।
मनसुख मांडविया ने किया था मोंडो ट्रैक का शुभारंभ
केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने 29 अगस्त को मोंडो ट्रैक का शुभारंभ किया था। लेकिन 26 दिन बाद ही ट्रैक असमतल हो गया है। यह भारत के खिलाड़ियों को विश्व स्तर पर बड़ी प्रतियोगिता के लिए तैयार करने और पैराओलिंपिक में अधिक पदक लाने के लिए लगाया गया है।
यह भी पढ़ें- 'जेन-जी भारत को तोड़ेगी नहीं, बल्कि सशक्त बनाएगी', पुस्तक विमोचन के मौके पर बोले धर्मेंद्र प्रधान
विश्व स्तर के बड़े टूर्नामेंट में भी मोंडो ट्रैक असमतल हो जाता है क्योंकि इसमें हवा भर जाती है। लेकिन यहां पर भारी बरसात के कारण ऐसा हो गया है। इसे ठीक कर दिया जाएगा। मोंडो ट्रैक पर पड़ी गंदगी को भी प्रतियोगिता से पहले साफ कर दिया जाएगा। - सत्यपाल सिंह, तकनीकी निदेशक, भारतीय पैरालंपिक समिति
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।