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    श्रम और समाज के हित में बुद्धिमानी से अनुकूलित करनी होगी तकनीकी: मोहन भागवत

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 10:01 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर श्रमिक समाज की चिंताओं पर बात की। उन्होंने बीएमएस के 70 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में तकनीकी बदलावों को समाज और श्रम क्षेत्र के हित में उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने बीएमएस से असंगठित क्षेत्र पर ध्यान देने की बात कही और कहा कि दुनिया बीएमएस से मार्गदर्शन की अपेक्षा रखती है।

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    बीएमएस के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पहुंचे मोहन भागवत और मनसुख मांडविया। फोटो: जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर श्रमिक समाज की चिंताओं के बीच कहा कि तकनीकी परिवर्तन एक चुनौती है। उसे अस्वीकार भी नहीं किया जा सकता।

    वैसे, हर नई तकनीक अपने साथ बेरोजगारी व अमानवीयता को लेकर चिंताएं लाती है। ऐसे में ज्ञान आधारित तकनीक के बारे में नए नजरिए से सोचने की जरूरत है।

    इसे समाज की आवश्यकता और श्रम क्षेत्र के हित के अनुसार बुद्धिमानी से अनुकूलित करना होगा। ताकि व्यापक समाज को हित हो।

    वह इंदिरा गांधी स्टेडियम में बीएमएस के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर वर्ष भर हुए आयोजनों के समापन आयोजन को संबाेधित कर रहे थे।

    उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) की जिम्मेदारी है कि वह तकनीकी परिवर्तन के इस युग में श्रम, औद्योगिक और राष्ट्रीय हित को एकीकृत करने की वैश्विक राह दिखाए।

    पूरी दुनिया इस मामले में बीएमएस पर नजर रखे हुए हैं। इसके साथ ही अपने मार्गदर्शन में उन्होंने बीएमएस से असंगठित क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित करने को कहा।

    संघ प्रमुख ने कहा कि सनातन धर्म में जीवन के चार स्तंभों में से एक परिश्रम है। बीएमएस ने दुनिया को एक नया शाश्वत आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। समय बदलने के साथ हमें वर्तमान युग के अनुकूल नया आदर्श विकसित और प्रस्तुत करना होगा।

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    उसके लिए संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। दत्तोपंत ठेंगड़ी ने बीएमएस की स्थापना राष्ट्रहित, उद्योगहित और मजदूरहित के सिद्धांतों पर की। इसीलिए यह अब पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है।

    आगे उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र बहुत बड़ा है और संगठित क्षेत्र में भी, कई लोग असंगठित हैं। हमें उनके आत्म-सम्मान और गरिमा को बहाल करने के लिए काम करना होगा। इस मौके पर उन्होंने आर्गनाइजर साप्ताहिक पत्रिका के 'लेबोरियस रिसेटिंग' शीर्षक से विशेष अंक का विमोचन भी किया।

    केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि बीएमएस की कार्यशैली भारत के लोकाचार और मूलभूत मूल्यों में गहराई से निहित है। इसका दृष्टिकोण हमेशा विशिष्ट होता हैं और सीखने के लिए बहुत कुछ प्रदान करते हैं।

    बीएमएस ने सही ही माना है कि श्रमिक आंदोलन केवल विरोध का नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का भी एक बल है।

    बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्मय पंड्या ने कहा कि बीएमएस देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन है, जो श्रमिकों के हित में अडिग रूप से कार्य कर रहा है।

    बीएमएस महासचिव बीएमएस के महासचिव रवींद्र हिमते ने संगठन की आगे की कार्ययोजना पर प्रकाश डाला।

    इस मौके पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता व दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के साथ ही बीएमएस तथा अन्य श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी व श्रमिक मौजूद रहे।

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