'हिंदू-मुस्लिम कभी साथ नहीं रह सकते कि धारणा को बदला जाए', इमामों के साथ बैठक में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने इमामों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें हिंदू-मुस्लिमों के बीच दूरियों को कम करने पर जोर दिया गया। मंदिर-मस्जिद के बीच संवाद बढ़ाने गुरुकुल और मदरसों के छात्रों के बीच आपसी समझ विकसित करने पर चर्चा हुई। हिंदू-मुस्लिम कभी साथ नहीं रह सकते की धारणा को बदलने और सभी को भारतीय के रूप में एक पहचान बनाने पर बल दिया गया।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के बीच बड़े घटनाक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने इमामों के साथ बड़ी बैठक की।हरियाणा भवन में साढ़े तीन घंटे चली बैठक में 60 इमाम, मुफ्ती व मोहतमिम शामिल हुए।
बैठक का आयोजन अखिल भारतीय इमाम संगठन (एआइइओ) द्वारा किया गया था। बंद कांफ्रेस रूम में हुई बैठक में खुलकर संवाद हुआ। जिसमें अवरोध के तमाम ज्वंलत मुद्दों पर चर्चा के साथ जोर देश को विश्व गुरु बनने की राह में बड़ा रोड़ा हिंदू-मुस्लिमों के बीच दूरियों को पाटने पर रहा। बैठक में शामिल लोगों ने इसे शानदार पहल बताया तथा कहा कि ऐसे कार्यक्रम आगे भी होते रहने चाहिए।
'हिंदू-मुस्लिम कभी साथ नहीं रह सकते' कि धारणा को बदला जाए
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ इमाम के अनुसार, सवाल उठा कि कैसे मंदिर-मस्जिद के बीच की दूरियां घटे? कैसे गुरुकुल और मदरसों के छात्रों का आपसी संवाद बढ़े? संवाद से ही समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है। कैसे इस संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए देशभर में नीचे तक लेकर जाया जाए? कैसे विभाजन का करण बने 'हिंदू-मुस्लिम कभी साथ नहीं रह सकते' कि धारणा को बदला जाए। कैसे, हिंदू-मुस्लिम से ऊपर सबकि एक पहचान भारतीय बने?
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, तय हुआ कि संवाद के ये कार्यक्रम मुस्लिम बहुल इलाकों में नीचे तक भी जाए, अलग-अलग ढंग से संवाद की यह प्रक्रिया जारी रहे और आपसी मतभेदों को पाटा जाए। इसमें लंबा वक्त लगेगा, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। इस प्रक्रिया में सुननी भी पड़ेगी और समझनी भी पड़ेगी।
बैठक में आम राय बनी कि हम सब विदेशी नहीं हैं
इसी तरह, बैठक में आम राय बनी कि हम सब विदेशी नहीं हैं, आक्रमणकारियों की पीढ़ियां खत्म हो गई है। अब उस विचार से बाहर निकलना होगा। हम सभी भारत की संतान हैं। हम जब एक होंगे तब भारत मजबूत होगा और विश्व गुरु बनेगा। बैठक में एआइइओ के अध्यक्ष डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी, संघ के सहसरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल व अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार की विशेष मौजूदगी रही।
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि एक-दूसरे को नजदीक आना होगा और समझना होगा। इसी तरह संघ के शांति व संवाद की प्रक्रिया को समझने के लिए नजदीकी बढ़ानी होगी।
आपसी विवाद, लड़ाई व दंगे वोट बैंक की राजनीति का परिणाम
यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है, जब संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है तथा इस क्रम में धर्म, पंथ व विचारधारा से ऊपर सभी को भारतीय के तौर पर जोड़ने को लेकर गृह संपर्क अभियान चलाने वाला है। इसी तरह, एआइइओ के भी 50 वर्ष तथा संघ प्रेरणा से हिंदू-मुस्लिम सद्भाव पर काम कर रही एमआरएम की स्थापना के 25 वर्ष हो गए हैं। अब इन संगठनों का जोर है कि आपसी विवाद, लड़ाई व दंगे वोट बैंक की राजनीति का परिणाम है। जिससे देश का नुकसान हो रहा है।
वैसे, मुस्लिम समाज से मोहन भागवत की संवाद की यह प्रक्रिया नई नहीं है। वर्ष 2016 व 2022 में भी इस तरह मुस्लिम बुद्धिजिवियों के साथ उनकी बैठक हरियाणा भवन में हुई थी। वर्ष 2022 में ही उमेर अहमद इलियासी के बुलावे पर संघ प्रमुख जनपथ रोड स्थित मस्जिद तथा आजाद मार्केट के मदरसे में भी गए थे। पूर्व में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी भागवत से मुलाकात की थी।
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