Delhi Election 2025: दिल्ली के चुनावों में क्यों अहम माना जाता है स्वास्थ्य का मुद्दा, क्या कहते हैं आंकड़ें
Delhi News दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक का वादा तो बड़ा था लेकिन हकीकत कुछ और ही है। एक दशक में सिर्फ 521 मोहल्ला क्लीनिक ही बन पाए हैं और कई बंद पड़े हैं। टीकाकरण भी नहीं हो रहा है। बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव ज्यादा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। मोहल्ला क्लीनिकों में लैब जांच में फर्जीवाड़ा भी सामने आया है।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लीनिकों में वर्ष भर में करीब दो करोड़ मरीजों को इलाज एवं निशुल्क दवाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है। बीते एक दशक में दिल्ली सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए मोहल्ला क्लीनिक (Mohalla Clinic) को एक नायाब स्वास्थ्य मॉडल के तौर पर पेश किया है।
दिल्ली सरकार ने 1,000 मोहल्ला क्लीनिक बनाने की घोषणा की थी, जिन्हें वर्ष 2016-17 तक बनाना था। इसी वर्ष के बजट में इसका प्रविधान किया गया, लेकिन समयसीमा बढ़ती रही और अभी महज 521 मोहल्ला क्लीनिक ही हैं। वर्तमान में जो मोहल्ला क्लीनिक हैं, उनमें भी कई बंद पड़े हैं।
खिचड़ीपुर मुख्य रोड मोहल्ला क्लीनिक का काम अधूरा पड़ा है। लोधी रोड प्रगति विहार स्थित मोहल्ला क्लीनिक बृहस्पतिवार दोपहर 12:29 बजे बंद पड़ी थी। इसके खिड़की-दरवाजे भी टूटे पड़े हैं। ज्यादातर में टीकाकरण भी नहीं होता है।
जबकि दिल्ली में पहले से मौजूद डिस्पेंसरियां टीकाकरण में अहम भूमिका निभाती हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं कमजोर होने से मौसमी व छोटी बीमारियों के साथ भी मरीज बड़े अस्पतालों में पहुंचते हैं।
ऐसे में बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव ज्यादा है। एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन 13,300, सफदरजंग में 10,000, आरएमएल में 7,500, लोकनायक में 6,500 व जीटीबी में 4,500 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।
पिछले तीन विधानसभा चुनाव में मोहल्ला क्लीनिक का मुद्दा अहम रहा है, लेकिन इस बार सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा मुद्दा बन रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- पांच के अनुसार दिल्ली में एक चौथाई लोगों के पास ही स्वास्थ्य बीमा है, ये हालात तब है तब इसमें निजी और कर्मचारियों को मिलने वाला संयुक्त स्वास्थ्य बीमा शामिल है।
दिल्ली में लोग आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से महरूम हैं, जिस पर आम आदमी पार्टी सरकार को केंद्र सरकार और भाजपा घेरती रही है। दिल्ली में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत होने के साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिले तो बड़े अस्पतालों पर दबाव भी कम होगा।
सिर्फ चार महिला मोहल्ला क्लीनिक ही खुल सकीं
आप सरकार ने वर्ष 2020-21 में 100 महिला मोहल्ला क्लीनिक शुरू करने का प्रविधान किया गया। इसके बाद सिर्फ चार महिला मोहल्ला क्लीनिक शुरू हुए। वर्ष 2022-23 के बजट में दोबारा 100 महिला मोहल्ला क्लीनिक शुरू करने और उनमें सर्विकल कैंसर की स्क्रीनिंग, बच्चों के टीकाकरण इत्यादि की व्यवस्था करने की बात कही गई। यह लक्ष्य भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है। इसके साथ ही 150 पालीक्लीनिक खोलने की योजना भी परवान नहीं चढ़ी।
मोहल्ला क्लीनिकों में लैब जांच में आया था फर्जीवाड़ा
मोहल्ला क्लीनिक में आउटसोर्सिंग के जरिये मरीजों की जांच निजी लैब करती है। इस वर्ष की शुरुआत में लैब जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया था। इसकी सीबीआइ जांच की सिफारिश भी की गई थी। इससे पहले 14 मोहल्ला क्लीनिक में इलाज और जांच में अनियमितताओं के आरोप में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने पिछले वर्ष नवंबर में 14 डाक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। कहीं डाक्टर नहीं आ रहे थे तो कहीं कर्मचारी परामर्श दे रहे थे। अनावश्यक जांच की सलाह भी दी गई थी।
सबको हेल्थ कार्ड जारी करने की योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई
दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सभी लोगों को हेल्थ कार्ड जारी करने की घोषणा की थी। दस वर्षों में छह बार इसे बजट में शामिल किया गया, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतरी। वर्ष 2015-16 के बजट में पहली बार इसकी घोषणा हुई, इस कार्ड में हर मरीज रिकार्ड डिजिटल रूप में सुरक्षित रहना।
फिर वर्ष 2016-17 के बजट में स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन सिस्टम तैयार करने और हेल्थ कार्ड जारी करने का प्रविधान किया गया। वर्ष 2020-21 में मुख्यमंत्री हेल्थ कार्ड योजना की घोषणा कर 70 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया।
वर्ष 2021-22 के बजट एक बाद फिर इसकी घोषणा की गई। वर्ष 2022-23 के बजट में 160 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया व एक निशुल्क हेल्पलाइन की भी बात की गई। वहीं, वर्ष 2023-24 के बजट में कहा गया कि इस योजना पर काम चल रहा है।
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