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शंघाई-सिंगापुर की तरह भारत में भी चलेगी रबड़ के टायर वाली Metro! यहां पढ़िए- फायदे

सबकुछ ठीक रहा और संभावित योजना पर अमल हुआ तो देश की राजधानी दिल्ली में समेत कई शहरों में टायर वाली (रबड़ युक्त पहिये वाली) मेट्रो चलती नजर आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 07:08 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 11:07 PM (IST)
शंघाई-सिंगापुर की तरह भारत में भी चलेगी रबड़ के टायर वाली Metro! यहां पढ़िए- फायदे
शंघाई-सिंगापुर की तरह भारत में भी चलेगी रबड़ के टायर वाली Metro! यहां पढ़िए- फायदे

नई दिल्ली, जेएनएन। Good news of metro commuters of India including delhi and NCR: सबकुछ ठीक रहा और संभावित योजना पर अमल हुआ तो देश की राजधानी दिल्ली में समेत कई शहरों में टायर वाली (रबड़ युक्त पहिये वाली) मेट्रो चलती नजर आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह संभव हो सकता है। दरअसल, आने वाले समयमें देश के किसी शहर में लाइट मेट्रो के बाद अब केंद्र सरकार टायर वाली मेट्रो चलाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए नीति भी तैयार की जा रही है। यह बात ग्रे लाइन पर मेट्रो के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने कही।

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खर्च आएगा कम

उन्होंने कहा कि मेट्रो बड़े शहरों के लिए सफल सार्वजिनक परिवहन की सुविधा है। देश में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। इससे वर्ष 2030 तक देश की करीब 60 करोड़ आबादी शहरों में होगी। दिल्ली मेट्रो की सफलता के बाद द्वितीय व तृतीय स्तर के शहरों में भी मेट्रो जैसी सुविधाओं की मांग हो रही है। मेट्रो के निर्माण का खर्च अधिक है, इसलिए इन शहरों में मेट्रो लाइट की नीति को अपनाया गया। इसके पीछे वजह यह है कि इससे मेट्रो के निर्माण में 30 फीसद खर्च कम हो जाता है। मेट्रो लाइट के बाद अब मेट्रो ऑन टायर्स नीति पर काम किया जा रहा है। इस तरह के मेट्रो के विकास में खर्च और भी कम हो जाएगा।

डीएमआरसी के अधिकारी कहते हैं कि दुनिया के कुछ शहरों में टायर्स मेट्रो चल रही हैं। यह मेट्रो भी रेलवे ट्रैक पर चलती है, लेकिन पहियों में टायर का इस्तेमाल होता है। पेरिस में सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया गया। लेकिन देश में यह कितनी सफल होगी इस पर अधिकारियों को संदेह है। दिल्ली मेट्रो में चार से आठ कोच होते हैं। छोटे शहरों के लिए मेट्रो लाइट को मुफीद बताया जाता है। यह तीन कोच की मेट्रो होती है।

जानें टायर वाली मेट्रो के बारे में

  • टायर वाली मेट्रो पेरिस, हांगकांग समेत कई देशों में सफलतापूर्वक चल रही है।
  • इसके रफ्तार तकरीबन 60 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। 
  • इसे मेट्रोलाइट के नाम से भी जाना जाता है।
  • टायर वाली मेट्रो के संचालन में 3 गुना कम यानी 100 करोड़ रुपये प्रति किमी की लागत आती है। 

नजफगढ़-द्वारका रूट का उद्घाटन

वहीं, दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) ने शुक्रवार को 4.29 किलोमीटर लंबी ग्रे लाइन (द्वारका-नजफगढ़ कॉरिडोर) पर मेट्रो का परिचालन शुरू कर राजधानी वासियों को नवरात्र का तोहफा दिया है। केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी व मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने मेट्रो भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हरी झंडी दिखाकर मेट्रो को रवाना किया। इसके बाद शाम पांच बजे यह कॉरिडोर यात्रियों के लिए खोल दिया गया। इससे नजफगढ़ और इसके आसपास के दर्जनों गांव दिल्ली मेट्रो के नेटवर्क से जुड़ गए हैं ।

इस मौके पर हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अब दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 377 किलोमीटर पहुंच गया है। इससे दिल्ली मेट्रो लंदन, न्यूयॉर्क व मॉस्को जैसे दुनिया के बड़े मेट्रो नेटवर्क में शामिल हो गई है। लंदन, न्यूयॉर्क व मॉस्को मेट्रो का नेटवर्क बहुत पुराना है। हालांकि, दिल्ली मेट्रो ने अभी 17 साल का सफर तय किया है। इतने कम समय में 377 किलोमीटर का नेटवर्क विकसित करना दिल्ली मेट्रो की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने मेट्रो को सफल परिवहन सुविधा करार दिया और कहा कि फेज चार की आगामी परियोजना व रैपिड रेल कॉरिडोर का काम पूरा होने पर कुल नेटवर्क 500 किलोमीटर से ज्याद हो जाएगा।

मेट्रो से कम हुआ प्रदूषण

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण कम करने में मेट्रो बड़ी मददगार है। दिल्ली में हाल के वर्षो में 25 फीसद प्रदूषण कम हुआ है, क्योंकि प्रदूषण कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें दिल्ली मेट्रो का विस्तार भी शामिल है। मेट्रो का नेटवर्क जितना बड़ा होगा, सड़कों पर वाहनों का दबाव उतना ही कम होगा। दिल्ली मेट्रो को प्रतिदिन करीब 300 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है। इसमें से एक तिहाई बिजली की जरूरत डीएमआरसी सौर ऊर्जा से पूरा कर रहा है।

पश्चिमी दिल्ली के गांवों को मिलेगा फायदा

ग्रे लाइन पर तीन मेट्रो स्टेशन द्वारका, नंगली व नजफगढ़ हैं। नजफगढ़ भूमिगत, जबकि अन्य दोनों स्टेशन एलिवेटेड हैं। इस कॉरिडोर पर 7:30 मिनट के अंतराल पर मेट्रो उपलब्ध होगी। इसलिए 6.30 मिनट में द्वारका से नजफगढ़ पहुंचा जा सकेगा। नजफगढ़ के लोग एक घंटे में दिल्ली के किसी भी हिस्से में पहुंच जाएंगे। नजफगढ़ से एनसीआर के शहरों के बीच भी आवागमन आसान हो जाएगा। दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि नजफगढ़ के लोगों को 17 सालों से मेट्रो का इंतजार था, जो अब जाकर पूरा हुआ। इससे पश्चिमी दिल्ली व नजफगढ़ के आसपास स्थित 70 गांव व 400 कॉलोनियों के लोगों को फायदा होगा।

ढांसा बस स्टैंड तक होगा विस्तार

सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि नजफगढ़ से ढांसा बस स्टैंड तक 1.54 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है। अगले साल यह बनकर तैयार हो जाएगा। तब नजफगढ़ देहात के अलावा हरियाणा के झज्जर के आसपास के गांवों के लाखों लोगों को सुविधा होगी। नजफगढ़ में जाम की समस्या भी दूर होगी। वर्मा ने कहा कि परिवहन व्यवस्था को बेहतर करने के लिए डीटीसी व मेट्रो फीडर बसों का नेटवर्क भी बढ़ाना होगा। उन्होंने नजफगढ़ देहात के हर गांव को मेट्रो फीडर बस से जोड़ने की मांग की।

दिल्ली में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा उत्पन्न कर रही मेट्रो : मंगू सिंह

डीएमआरसी ने इस साल दिल्ली-एनसीआर में फेज तीन के 100 किलोमीटर से लंबे मेट्रो नेटवर्क पर परिचालन शुरू किया है। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह ने कहा कि डीएमआरसी दिल्ली में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। मौजूदा समय में 30 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा रही है। इसके अलावा 77 मेगावाट सोलर बिजली रीवा से मिल रही है। इस तरह मेट्रो में 107 मेगावाट सोलर बिजली इस्तेमाल की जा रही है। इससे परिचालन का खर्च भी कम हुआ है।

मेरा सपना हुआ पूरा : महाबल मिश्रा

द्वारका से नजफगढ़ तक मेट्रो की शुरुआत होने से ग्रामीण इलाके के लोगों को काफी सहूलियत हो रही है। इस मेट्रो लाइन पर परिचालन शुरू होने के साथ ही पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने कहा कि आज मेरा सपना पूरा हुआ। वर्षों पहले इस द्वारका-नजफगढ़ मेट्रो लाइन की नींव रखी गई थी। इसके लिए मेरे द्वारा काफी प्रयास किए गए थे और तत्कालीन केंद्र सरकार की ओर से इस लाइन को मंजूरी दिलाई गई थी। महाबल मिश्रा नजफगढ़ मेट्रो स्टेशन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और नारियल फोड़कर इसका शुभारंभ किया।

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