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अड़चन नहीं है माहवारी, 'सच्ची सहेली' ने छात्राओं का भ्रम दूर करने का उठाया बीड़ा

डॉ. सुरभि ने माहवारी के दौरान साफ-सफाई रखने की सलाह दी। इससे छात्राएं काफी प्रभावित हुई। डॉ ने बताया कि 'सच्ची सहेली' स्कूलों में यह अभियान चला रही है।

By Amit MishraEdited By: Published: Sun, 14 May 2017 03:47 PM (IST)Updated: Sun, 14 May 2017 10:50 PM (IST)
अड़चन नहीं है माहवारी, 'सच्ची सहेली' ने छात्राओं का भ्रम दूर करने का उठाया बीड़ा

नई दिल्ली [जेएनएन]। पढ़ाई करने के दौरान छात्राओं के साथ कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जिन्हें वह किसी के साथ साझा नहीं कर सकतीं। इसमें एक है माहवारी, जो एक उम्र के पड़ाव में हर छात्रा के साथ होती है। माहवारी को लेकर कई तरह के भ्रम भी उनके मन में रहते हैं। इन भ्रमों को दूर करने का बीड़ा उठाया है 'सच्ची सहेली' नाम के एक गैर सरकारी संगठन ने।

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'सच्ची सहेली' संगठन में डॉक्टरों के साथ कुछ समाजसेवी महिलाएं भी शामिल हैं। यह टीम इन दिनों सरकारी स्कूलों में पहुंचकर छात्राओं को माहवारी के प्रति जागरूक कर रही है। इस क्रम में टीम मयूर विहार फेज-एक के पॉकेट चार स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय में पहुंची। यहां पर छात्राओं को माहवारी के अलावा यौन शोषण और 'गुड टच-बैड टच' के बारे में जागरूक किया गया।

टीम का नेतृत्व कर रही महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभि सिंह ने बताया कि आठवीं और नौवीं की कक्षा में आते-आते छात्राओं को माहवारी होने लगती है। इस संबंध में घर में मां या बुजुर्ग औरतें बता तो देती हैं लेकिन इसके साथ वह अंधविश्वासों के बारे में भी बताती हैं। इस वजह से छात्राएं इसे एक समस्या के रूप में लेती हैं। स्कूल में उन्होंने छात्राओं से जब इसके बारे में पूछा तो उन्हें कोई सटीक जवाब नहीं मिला, जबकि आठवीं कक्षा में ही प्रजनन के संबंध में पढ़ाया जाता है।

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बाल न धोना, अचार न छूना

छात्राओं ने बताया कि हमें बाल धोने और अचार छूने से मना किया जाता है। इस पर डॉ. सुरभि ने कहा कि पुराने समय में लोग तालाब और पोखरों में नहाते थे। इस वजह से माहवारी के दिनों में उन्हें नहाने के लिए मना किया जाता था, जो कि बाद में बाल नहीं धोने पर सिमट गया। लेकिन आज तो लोग बाथरूम में नहाते हैं। ऐसे में कोई कारण नहीं है कि बाल नहीं धोना चाहिए।

एक छात्रा ने पूछा कि अचार क्यों नहीं छूना चाहिए। इस पर सुरभि ने बताया कि पहले नहाने की मनाही थी। यानी चार-पांच दिनों तक शरीर स्वच्छ नहीं हो पाता था। ऐसे में शरीर में गंदगी की वजह से अचार खराब हो सकता था, इसी कारण मना किया जाता था। सुरभि ने कहा आज यह सिर्फ भ्रम है। आज आप जहां चाहे घूम सकते हैं। पहले घर में ही एक जगह पर रहने के लिए कहा जाता था।

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सुरभि ने माहवारी के दौरान साफ-सफाई रखने की सलाह दी। इससे छात्राएं काफी प्रभावित हुई। डॉ. सुरभि सिंह ने बताया कि 'सच्ची सहेली' करीब एक साल से स्कूलों में यह अभियान चला रही है। इसमें छात्राओं को कानूनी जानकारी भी दी जाती है। टीम में डॉ. रचना, डॉ. अरुण गुप्ता, समाजसेवी रंजना प्रसाद, इला श्रीवास्तव और गौतम आदि शामिल हैं।

28 को जागरूकता कार्यक्रम

'सच्ची सहेली' की ओर से विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर 28 मई को राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के पास व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसमें विशेषज्ञ डॉक्टर भी शामिल रहेंगे। डॉ. सुरभि सिंह ने कहा कि इसमें तीन से चार हजार लोग शामिल हो सकते हैं। 

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