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    20 साल से फरार शातिर दबोचा, डॉक्टर के साथ मिलकर कर रहा था बड़ा खेल; पूछताछ में खुलेंगे गहरे राज

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 10:22 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजेश राजपूत नामक एक ठग को गिरफ्तार किया है जो मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करता था। वह 20 साल से फरार था। उसने ओडिशा के एक डॉक्टर से भी बेटे को एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर 4 लाख रुपये ठगे थे। पुलिस ने उसे सहारनपुर से गिरफ्तार किया।

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    नामी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला भगोड़ा 20 साल बाद गिरफ्तार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नामी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले 63 वर्षीय राजेश राजपूत को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। 2004 में अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। तब से पिछले 20 साल से वह फरार था।

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    बताया गया कि आरोपी ने एक अन्य आरोपी के साथ मिलकर ओडिशा के एक डाक्टर से उनके बेटे को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने के नाम पर चार लाख रुपये ठग लिया था।

    डीसीपी हर्ष इंदौरा के मुताबिक, राजेश राजपूत, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद एक गिरोह के संपर्क में आकर उसने नामी मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला दिलाने के इच्छुक लोगों से ठगी करने का धंधा शुरू कर दिया। उसने "हेल्पलाइन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड" नाम से एनजीओ जैसी एजेंसी शुरू की।

    इसके बाद विज्ञापन देकर अपने बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने वाले अभिभावकों को गुमराह कर ठगी करना शुरू कर दिया। पुलिस का दावा है कि आरोपित व उसके साथियों ने कई अभिभावकों को शिकार बनाया।

    ओडिशा के रहने वाले डा. आरसी मोहर ने पुलिस में शिकायत कर कहा था कि उनके बेटे को एक नामी मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने के लिए उनकी गाढ़ी कमाई के चार लाख रुपये ठग लिए गए। शिकायत में उन्होंने बताया था कि आरोपित एनजीओ चलाता है। विज्ञापन देखकर भ्रमित होकर वह आरोपितों के जाल में फंस गए और एमबीबीएस में मैनेजमेंट कोटे के तहत दाखिला लेने लिए तैयार हो गए थे।

    वहीं, डाक्टर की शिकायत पर शालीमार बाग थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया था। अदालत की किसी भी तारीख पर वह उपस्थित नहीं हुआ। जिससे अदालत द्वारा उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। भगोड़े को पकड़ने की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंपने पर एसीपी अशोक शर्मा, इंस्पेक्टर अजय शर्मा और इंस्पेक्टर अजय गहलावत की टीम ने एक जुलाई को सहारनपुर (यूपी) स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर लिया।