दिल्ली में संपत्तिकर वसूली के लिए लागू होगी नई व्यवस्था, अब निजी एजेंसी बताएगी कि किसने नहीं दिया टैक्स
एमसीडी संपत्तिकर से राजस्व बढ़ाने के लिए निजी एजेंसी की मदद लेगी। यह एजेंसी कर न देने वाली संपत्तियों की पहचान करेगी जिसकी सूचना एमसीडी को दी जाएगी। कर वसूली होने पर एजेंसी को कुछ प्रतिशत मिलेगा। जोधपुर में ऐसा प्रयोग सफल रहा है। अनधिकृत कॉलोनियों में कर वसूली में दिक्कतें हैं। पूर्व में एमसीडी की कई योजनाएं विफल रही हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संपत्तिकर से राजस्व बढ़ाने के लिए अब MCD निजी एजेंसी की मदद लेने की योजना बना रही है। सब कुछ ठीकठाक रहा तो इस सप्ताह के अंत तक टेंडर जारी हो जाएगा ।
योजना के तहत निजी एजेंसी के कर्मचारी उन संपत्तियों की पहचान करेंगे, जहां से संपत्ति संग्रह नहीं हो पा रहा है। ऐसी संपत्तियों की जानकारी एमसीडी के क्षेत्रीय संपत्तिकर कार्यालय को देनी होगी।
जानकारी के आधार पर एमसीडी संबंधित संपत्ति मालिक से संपत्तिकर वसूलने की प्रक्रिया शुरू करेगा। संपत्तिकर का भुगतान होने पर इसका कुछ प्रतिशत कंपनी को दिया जाएगा।
एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि जोधपुर में इस तरह का प्रयोग सफल रहा है। इसकी वजह से वहां राजस्व भी बढ़ा है।
अधिकारी ने बताया कि कई संपत्तियों से अब तक संपत्तिकर नहीं मिला है। इसके साथ कई संपत्तियां ऐसी हैं जहां से बीच-बीच में कुछ सालों का गैप दिया गया है।
निजी एजेंसी का कार्य इन संपत्तियों की पहचान करना होगा। जितना राजस्व इन संपत्तियों से मिलेगा, उसका एक हिस्सा एजेंसी को मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि एजेंसी के पास नागरिकों को परेशान करने का अधिकार नहीं होगा।
एजेंसी केवल जानकारी जुटाएगी और एमसीडी के संपत्तिकर विभाग द्वारा जो आदेश दिए जा रहे हैं, उनका पालन करेगी। उन्होंने बताया कि संपत्तिकर पर बकाया का नोटिस करने का अधिकार निगम के अधिकारियों के पास ही होगा।
अनधिकृत कॉलोनियों में ज्यादा बकायेदार
दिल्ली में अनधिकृत काॅलोनियों में ज्यादा बकायेदार हैं। यहां पर वोटबैंक के चलते जनप्रतिनिधि लोगों पर संपत्तिकर बकाये के लिए होने वाली कार्रवाई नहीं होने देते हैं।
साथ ही राजनीतिक दलों द्वारा कभी 50 गज तो कभी 100 गज तक के मकानों को संपत्तिकर माफ करने की घोषणा के चलते लोग भ्रमित रहते हैं।
जबकि निगम ने अभी तक ऐसे आदेश जारी नहीं किए हैं। इसकी वजह से अनधिकृत काॅलोनियों में ज्यादातर लोग संपत्तिकर जमा नहीं करते हैं।
ऐसी योजना जो पूर्व में नहीं हो पाई है सफल
- पूर्वकालिक निगमों ने यूपिक आइडी की प्लेट हर संपत्ति पर लगानी थी लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया
- संपत्तियों की जीओ टैंगिग होनी थी लेकिन पांच लाख ही संपत्तियों की जीओ टैगिंग हो पाई, यह भी सफल नहीं हो पाया
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