दिल्ली के बॉर्डरों से एमसीडी टोल हटाने को तैयार, बशर्ते सालाना 900 करोड़ दे दिल्ली सरकार
दिल्ली में प्रवेश करते समय एमसीडी टोल और पर्यावरण शुल्क के कारण जाम लगता है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद एमसीडी टोल हटाने को तैयार है लेकिन उसने दिल्ली सरकार से आर्थिक मदद की शर्त रखी है। एमसीडी ने दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को पत्र लिखकर सहमति दी है। निगम को सरकार से 900 करोड़ रुपये की वार्षिक मदद चाहिए।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने के दौरान एमसीडी के टोल और पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) जाम का कारण बनता है। ऐसे में केंद्र सरकार के निर्देश के बाद निगम टोल को हटाने के लिए तैयार हो गया है।
हालांकि, इसके लिए निगम ने शर्त लगाई है कि वह तभी इन टोल को खत्म करेगा जब उसे दिल्ली सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जाएगी। अगर सरकार किसी भी रूप में उसे आर्थिक मदद करती है तो वह टोल को हटा देगा।
टोल हटाने को लेकर एमसीडी के अतिरिक्त आयुक्त ने दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को पत्र लिखा है। इस पत्र में निगम ने शर्तों के साथ लिखित सहमति टोल हटाने को लेकर दिल्ली सरकार को दी है।
एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि मई में एक बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली सरकार और निगम को इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए थे।
इसके बाद दिल्ली सरकार की ओर से जून में आयोजित बैठक में इस पर चर्चा भी हुई। इस पर सरकार ने निगम का पक्ष मांगा था, जिस पर हमने पत्र के माध्यम से जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि चूंकि टोल निगम के राजस्व के प्रमुख स्रोतों में से एक है।
इसलिए हमने आर्थिक मदद के आश्वासन के बाद टोल वसूलने पर खत्म करने की बात कही है। अगर हमें सरकार की ओर से 900 करोड़ रुपये की वार्षिक आर्थिक मदद और हर वर्ष इसमें तीन से चार प्रतिशत की वृद्धि की सहमति देती है तो हम टोल वसूली बंद कर देंगे।
इसके साथ ही हमने एक विकल्प ट्रांसफर ड्यूटी बढ़ाने का भी दिया है। अगर दिल्ली सरकार अचल संपत्तियों पर मिलने वाली ट्रांसफर ड्यूटी पर एक प्रतिशत की बढ़ोतरी करती है तो भी हम टोल हटाने के लिए तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि एमसीडी एक्ट-1957 के अनुच्छेद 113 (2) जी के तहत दिल्ली में प्रवेश करने के दौरान व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूला जाता है। वर्ष 2000 से यह व्यवस्था दिल्ली में लागू हुई थी, जबकि एक मई 2003 से दिल्ली में पर्यावरण क्षति पूर्ति शुल्क (ईसीसी) मालवाहन वाहनों से वसूला जाता है।
दिल्ली में टोल वसूली के कारण गाजीपुर से लेकर रजोकरी और बदरपुर व कालिंदी कुंज जैसे टोल नाकों पर जाम की स्थिति अक्सर बन जाती है। यह स्थिति तब होती है, जब निगम ने टोल वसूली को फास्टैग की तर्ज पर एमसीडी के आरएफआईडी टैग से वसूलना अनिवार्य कर रखा है।
दिल्ली में कुल 156 टोल नाके हैं। इसमें 13 टोल नाकों पर 85 प्रतिशत यातायात दिल्ली में प्रवेश करता है। उसमें 2019 में निगम ने आरएफआइी से टोल भुगतान को अनिवार्य कर रखा है।
टोल के साथ ईसीसी वसूली है जाम लगने की प्रमुख वजह
राजधानी दिल्ली में टोल के साथ ईसीसी वसूली भी जाम की बड़ी वजह है। ईसीसी वसूलने के लिए मालवाहक वाहनों को रोका जाता है। इसके बाद अगर वाहन खाली हैं तो उस पर ईसीसी की दर अलग है और वाहन के अंदर अगर सामान है तो उसकी ईसीसी की दर अलग है।
जबकि जरूरी वस्तुएं जैसे दूध व सब्जी ले जाने वाले व्यावसायिक वाहनों को ईसीसी से छूट है। ऐसे में इन वाहन चालकों के दावे को मौके पर चेक किया जाता है। इसकी वजह से टोल पर जाम लग जाता है। हालांकि ईसीसी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से दिल्ली में लागू हुआ था।
इसलिए दिल्ली नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर एक याचिका दायर कर रखी है। इसमें उसने इस पर निर्णय लेने की अपील की हुई है। हालांकि, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि मालवाहक वाहनों से ईसीसी वसूलने की दर अलग-अलग है।
अगर, दर भी एक समान कर दिया जाए तो भी काफी राहत हो सकती है। ज्यादातर विशेषज्ञ ईसीसी के खत्म करके एक मुश्त राशि लेने के पक्ष में है।
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