मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किलें, भ्रष्टाचार मामले की होगी जांच; गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। दरअसल गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय को जांच क ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ 1,300 करोड़ रुपये के क्लासरूम घोटाले में मुकदमा चलाया जाएगा। दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने वर्ष 2022 में मुख्य सचिव को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस पूरे मामले की जांच कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर सिसोदिया व जैन के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी थी।
गृह मंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस संबंध में अपनी मंजूरी दे दी है। क्लासरूम घोटाला उस समय हुआ था, जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हुआ करते थे। केजरीवाल मंत्रिमंडल में मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और उनके पास शिक्षा विभाग भी था। जबकि, सत्येंद्र जैन उस समय लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री थे। आरोप है उस समय 2,400 से अधिक कक्षाओं के निर्माण में अनियमितता बरती गई।
भ्रष्टाचार अधिनियम-1988 के तहत मुकदमा चलेगा
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 17 फरवरी, 2020 को अपनी एक रिपोर्ट में इसके लिए लोक निर्माण विभाग को कठघरे में खड़ा किया था। अब इस मामले में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दो अलग-अलग पत्रों के जरिये पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की स्वीकृति दी गई है। दोनों पूर्व मंत्रियों के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर उन पर भ्रष्टाचार अधिनियम-1988 की धारा 17-ए के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
शराब नीति 2021-22 को लागू करने में अनियमितताएं
बता दें कि पिछले साल अगस्त महीने में मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से और अक्टूबर महीने में राउज एवन्यू कोर्ट से सत्येंद्र जैन को जमानत मिली थी। मनीष सिसोदिया आबकारी घोटाले में 17 महीने तक जेल में बंद थे, जबकि सत्येंद्र जैन मनी लांड्रिंग केस में वर्ष 2022 में गिरफ्तार हुए थे और तब से जेल में बंद थे। सिसोदिया को सीबीआई ने कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने शराब नीति 2021-22 को लागू करने में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार किया।
जांच की स्वीकृति मिलने से फिर से दोनों नेताओं की मुश्किलें
सीबीआई और ईडी का आरोप है कि सिसोदिया ने शराब नीति को कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया था। आरोप लगे कि शराब कारोबारियों से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई, जिसका इस्तेमाल गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए हुआ। इस मामले में सिसोदिया जेल गए थे। दोनों नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जमानत पर बाहर आ गए थे। अब गृह मंत्रालय से भ्रष्टाचार मामले में जांच की स्वीकृति मिलने से फिर से दोनों नेताओं की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार से मांगा था जवाब
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 17 फरवरी 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2,400 से ज्यादा क्लासरूम के निर्माण में 'गंभीर अनियमितताओं' को हाइलाइट किया। सीवीसी ने फरवरी 2020 में इस मामले पर अपनी टिप्पणी मांगने के लिए दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय को रिपोर्ट भेजी थी।
ढाई साल तक दबाए रखी रिपोर्ट
सूत्रों का कहना है कि सतर्कता निदेशालय ढाई साल तक रिपोर्ट को दबाए बैठा रहा, जब तक कि एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव से इस साल अगस्त में इसकी देरी की जांच करने और रिपोर्ट जमा करने के लिए नहीं कहा। सतर्कता निदेशालय ने कहा है कि शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की जाए जो लगभग 1,300 करोड़ रुपये के “घोटाले” में शामिल थे।
193 विद्यालयों में 2405 क्लासरूम बनाने का कार्य सौंपा
बता दें कि अप्रैल, 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण का निर्देश दिया था। लोक निर्माण विभाग को 193 विद्यालयों में 2405 क्लासरूम बनाने का कार्य सौंपा गया था। इसने क्लासरूम की आवश्यकता का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया। सर्वे के आधार पर 194 स्कूलों में 7180 समतुल्य कक्षाओं (ईसीआर) की कुल आवश्यकता का अनुमान लगाया, जो 2405 कक्षाओं की आवश्यकता का लगभग तीन गुना है।
मंजूरी से अधिक किया गया व्यय
सीवीसी को 25 अगस्त, 2019 को कक्षाओं के निर्माण में अनियमितताओं और लागत में वृद्धि के बारे में शिकायत मिली थी। रिपोर्ट में कहा गया कि निविदा आमंत्रित किए बिना 'अधिक विशिष्टताओं' के नाम पर निर्माण लागत 90 प्रतिशत तक बढ़ गई। सीवीसी जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, मूल रूप से प्रस्तावित और स्वीकृत कार्यों के लिए निविदाएं जारी की गईं, लेकिन बाद में 'अधिक विशिष्टताओं' के कारण अनुबंध मूल्य 17 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक भिन्न था। इसमें कहा गया है कि 194 स्कूलों में 160 शौचालयों की आवश्यकता के मुकाबले 1214 शौचालयों का निर्माण किया गया, जिस पर 37 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय हुआ।
दिल्ली सरकार ने शौचालयों की गणना कर उन्हें कक्षा के रूप में प्रस्तुत किया। 141 स्कूलों में केवल 4027 कक्षा-कक्षों का निर्माण किया गया। इन परियोजनाओं के लिए स्वीकृत राशि 989.26 करोड़ रुपये थी और सभी निविदाओं का पुरस्कार मूल्य 860.63 करोड़ रुपये था, लेकिन वास्तविक व्यय 1315.57 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कोई नई निविदा नहीं बुलाई गई, लेकिन अतिरिक्त कार्य किया गया। कई कार्य अधूरे छोड़ दिए गए।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।