और अधूरी रह गई यह प्रेम कहानी, कालिदास की नहीं हो सकी मल्लिका
कालिदास हर दिन एक घुटन का सामना करता है। जब तक उसे इस घुटन का अहसास होता है और वो अपने गांव लौटता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
गाजियाबाद [जेएनएन]। एक कलाकार जब तक अपनी माटी से जुड़ा रहता है तब तक उसकी संवेदनाएं, उसकी रचनात्मकता भी जिंदा रहती हैं लेकिन जैसे ही वह व्यावसायिकता की ओर बढने लगता है, तो कलाकर की रचनात्मकता कहीं न कहीं खत्म होने लगती है। जब उसे इसका एहसास होता है तो वह चाहकर भी अपने समय को वापस नहीं ला पाता है क्योंकि समय बलवान है, वो किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है। एक कलाकार की कुछ इसी तरह की वेदना और अधूरी प्रेम कहानी को दिखाया गया है नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' में।
'आषाढ़ का एक दिन' नाटक का मंचन
रविवार को गांधर्व संगीत महाविद्यालय में डा. विमला गुप्ता नाट्य मंच के कलाकारों ने निर्देशक संदीप सिंहवाल के निर्देशन में 'आषाढ़ का एक दिन' नाटक का मंचन किया। नाटक में दिखाया गया कि प्रेमिका मल्लिका के कहने पर कवि कालिदास राज्य कवि बनने गांव से बाहर चला जाता है।
गांव लौटता है कालिदास
विलोम मल्लिका को प्यार करता है लेकिन मल्लिका उसे प्रेम नहीं करती थी। मल्लिका की मां अंबिका भी उसके लिए चिंतित रहती है। कालिदास हर दिन एक घुटन का सामना करता है। जब तक उसे इस घुटन का अहसास होता है और वो अपने गांव लौटता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उसका प्यार, उसके अंदर का कलाकार सब कुछ खत्म हो चुका होता है।
विलोम का मल्लिका से होता है विवाह
नाटक में ग्रे शेड कलाकार विलोम अंत में मल्लिका से विवाह कर लेता है। लेकिन जब कालिदास वापस मल्लिका के पास आता है तो सब कुछ बदल चुका होता है और वह निराश लौट जाता है। नाटक में सोनम श्रीवास्तव, नितिन, पंकज, जरनैल सिंह, गुरमीत चावला, यशी, विपिन कसाना, काजल, निशाद, गोविंद ठाकुर, गोरिका सक्सेना, प्रदीप कश्यप, आरती ने बेहतरीन अभिनय किया।
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