दिल्ली की नई सरकार से शराब के शौकीनों को है उम्मीद, घरेलू व्हिस्की-वाइन का ले सकेंगे स्वाद; जानें क्या है इनकी मांग
कन्फेडरेशन आफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज के महानिदेशक अनंत अय्यर ने कहा कि दिल्ली की आबकारी नीति आयातित अल्कोहलिक पेय ब्रांडों का पक्ष लेती है। आज दिल्ली में घरेलू ब्रांड में खासकर प्रीमियम भारतीय ब्रांड की बिक्री कम है ऐसे ब्रांड को पेश करना बहुत महंगा और अव्यवहारिक है। कहा कि हम बार-बार दिल्ली सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि हमें समान अवसर प्रदान किए जाएं।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में आयातित ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले प्रीमियम शराब के घरेलू निर्माताओं को उम्मीद है कि नई सरकार समान अवसर प्रदान करेगी, जिससे राजधानी में स्थानीय शराब की बेहतरीन उपलब्धता के द्वार खुलेंगे।
शराब उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि दिल्ली में नई सरकार के आने के बाद शराब के शौकीनों को उम्मीद है कि वे एक बार फिर घरेलू स्तर पर उत्पादित सिंगल-माल्ट व्हिस्की, वाइन और जिन जैसे बेहतरीन भारतीय मादक पेय पदार्थों का स्वाद ले पाएंगे। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा आबकारी नीति के तहत उच्च ब्रांड-लाइसेंस शुल्क ने भारतीय शराब निर्माताओं को दिल्ली के बाजार से बाहर रहने के लिए मजबूर किया है।
घरेलू ब्रांड में खासकर प्रीमियम भारतीय ब्रांड की बिक्री कम
कन्फेडरेशन आफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज के महानिदेशक अनंत अय्यर ने कहा कि दिल्ली की आबकारी नीति आयातित अल्कोहलिक पेय ब्रांडों का पक्ष लेती है। आज दिल्ली में घरेलू ब्रांड में खासकर प्रीमियम भारतीय ब्रांड की बिक्री कम है, ऐसे ब्रांड को पेश करना बहुत महंगा और अव्यवहारिक है। कहा कि हम बार-बार दिल्ली सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि हमें समान अवसर प्रदान किए जाएं।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे। सरकार को घरेलू अल्कोहलिक पेय पदार्थों पर वही ब्रांड-लाइसेंस शुल्क देना चाहिए, जो आयातित ब्रांडों को दिया गया है। अय्यर ने कहा कि यह "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण के अनुकूल भी है।
उपभोक्ता प्रीमियम भारतीय ब्रांड खरीदने में असमर्थ
उन्होंने कहा कि उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार कम मात्रा के कारण उच्च ब्रांड पंजीकरण की लागत उचित नहीं है, क्योंकि बड़ी संख्या में उच्च श्रेणी के उत्पाद जैसे कि भारतीय सिंगल-माल्ट व्हिस्की, वाइन और जिन, राष्ट्रीय राजधानी में उपलब्ध नहीं हैं। नतीजतन दिल्ली में उपभोक्ता प्रीमियम भारतीय ब्रांड खरीदने में असमर्थ हैं और उन्हें खरीदने के लिए पड़ोसी राज्यों में जाना पड़ता है, जिससे दिल्ली सरकार को राजस्व का नुकसान होता है।
आयातित ब्रांड के लिए 3 लाख रुपये तक का लाइसेंस शुल्क
उन्होंने कहा कि मौजूदा आबकारी नीति के अनुसार सभी भारतीय व्हिस्की को दिल्ली में बेचने के लिए प्रत्येक उत्पाद के लिए 25 लाख रुपये का ब्रांड-लाइसेंस शुल्क देना पड़ता है। लेकिन सभी आयातित उत्पादों पर प्रत्येक आयातित ब्रांड के लिए केवल 50,000 रुपये से 3 लाख रुपये का लाइसेंस शुल्क लिया जाता है।
भारतीय ब्रांडी लाइसेंस फीस आठ लाख रुपये
वर्तमान आबकारी नीति के अनुसार भारतीय व्हिस्की के लिए ब्रांड-लाइसेंस शुल्क 25 लाख रुपये प्रति ब्रांड और रम, जिन और वोदका के लिए 12 लाख रुपये प्रति ब्रांड है। भारतीय ब्रांडी लाइसेंस फीस आठ लाख रुपये है और बीयर के लिए यह 15 लाख रुपये प्रति ब्रांड है। तुलनात्मक रूप से आयातित शराब के लिए लाइसेंस फीस व्हिस्की, रम, जिन, वोदका और ब्रांडी के पांच ब्रांडों के लिए 15 लाख रुपये और प्रत्येक अतिरिक्त ब्रांड के लिए 50,000 रुपये है।
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