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    बगैर सर्जरी डॉक्टरों ने मरीज को लगाया लीडलेस पेसमेकर

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sat, 05 Aug 2017 06:09 PM (IST)

    साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने हृदय की बीमारी से पीड़ित एक मरीज को बगैर ऑपरेशन किए लीडलेस पेसमेकर लगाया।

    बगैर सर्जरी डॉक्टरों ने मरीज को लगाया लीडलेस पेसमेकर

    नई दिल्ली [जेएनएन]। हृदय की अनियंत्रित धड़कन की बीमारी से पीड़ित मरीजों को बड़े पेसमेकर लगाने की जरूर नहीं पड़ेगी। साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने हृदय की बीमारी से पीड़ित एक मरीज को बगैर ऑपरेशन किए लीडलेस पेसमेकर लगाया। जो विटामिन के कैप्सूल के आकार का होता है। इस पेसमेकर को लगाने के बाद मरीज का स्वास्थ्य ठीक है। खास बात यह है कि इस पेसमेकर का आकार पारंपरिक पेसमेकर से 93 फीसद छोटा होता है।

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    हृदय की बीमारी से पीड़ित मरीज शादिक अनवर खुद आंखों के डॉक्टर हैं। उन्हें कई बार चक्कर आने की परेशानी होती थी। उन्होंने कहा कि चार जून को वह अचानक बेहोश हो गए। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए एंबुलेंस से मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने उन्हें अस्थाई पेसमेकर लगाया।

    स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद डॉक्टरों ने स्थायी पेसमेकर लगाने की सलाह दी। डॉक्टर होने के नाते मुझे यह मालूम है कि जिस प्रोसिजर व ऑपरेशन में कम काट-छांट हो वह मरीज के लिए अधिक आरामदायक होता है। इसलिए छह जून को डॉक्टरों ने लीडलेस पेसमेकर लगाया।

    मैक्स अस्पताल के कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी लैब व अरिदमिया विभाग की निदेशक डॉ. विनिता अरोड़ा ने कहा कि यह पेसमेकर लगाने के लिए हृदय के ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती। जिस तरह एंजियोप्लास्टी में धमनी के माध्यम से स्टेंड डाला जाता है उसी तरह यह पेसमेकर भी लगाया हाता है।

    डॉ. विनिता ने कहा कि मरीज के दायें पैर की जांघ की धमनी के माध्यम से स्टेंड की तरह पतली लीड की मदद से पेसमेकर को हृदय के दायें वेंट्रिकल में लगाया गया। इस तकनीक से मरीज एक-दो दिनों में ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक है। देश में एम्स व मैक्स सहित तीन अस्पतालों में ही इसकी सुविधा है। मैक्स में अब तक 15 मरीजों को यह पेसमेकर लगाया जा चुका है।

    टाइटेनियम का बना होता है लीडलेस पेसमेकर

    डॉ. वनिता ने कहा कि लीडलेस पेसमेकर टाइटेनियम का बना होता है। समान्य पेसमेकर की तुलना में इससे संक्रमण होने की आंशका बहुत कम होती है। इसके अलावा इससे रक्तस्राव होने की आंशका भी नहीं रहती। 

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