Delhi Riots: दंगे में हाथ-पैर काटकर युवक को जलाने के मामले में आखिरी आरोपी बरी, दर्दनाक थी पूरी घटना
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे में युवक के हाथ-पैर काटकर जलाने के मामले में कोर्ट ने आखिरी आरोपी मोहम्मद शाहनवाज को बरी कर दिया है। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा। इस मामले में कुल 12 आरोपी थे जिसमें से 11 अक्टूबर 2023 में ही आरोप मुक्त हो चुके हैं। आगे विस्तार से पढ़िए इस दर्दनाक घटना के बारे में।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे में युवक दिलबर नेगी की हत्या के मामले में कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल की कोर्ट ने आखिरी आरोपी मोहम्मद शाहनवाज को बरी कर दिया है।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि आरोपी पर जो आरोप लगाए गए थे, अभियोजन पक्ष संदेह से परे उनको साबित नहीं कर पाया। दिल्ली पुलिस यह साबित करने में विफल रही कि शाहनवाज दंगाइयों के साथ गोदाम में घुसा था, जिसके बाद उस गोदाम में आग लगाई गई। इस मामले में कुल 12 आरोपी थे, जिसमें से 11 लोग अक्टूबर 2023 में ही आरोप मुक्त हो चुके हैं।
मिठाई की दुकान में वेटर का काम करता था दिलबर
गोकलपुरी थाना क्षेत्र में दंगाइयों ने 24 फरवरी 2020 को चमन पार्क में अनिल स्वीट्स के गोदाम में आग लगा दी थी। इस घटना में गोदाम में छिपे उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के रोखड़ा गांव निवासी दिलबर नेगी का आधा जला शव बरामद हुआ था। उसके हाथ और पैर गायब थे। दिलबर मिठाई की दुकान में वेटर का काम करता था। गोदाम के ऊपर घर था, जिसे क्षति पहुंची थी।
इस केस में खंगाली गई कई सीसीटीवी फुटेज
पुलिस को 26 फरवरी 2020 को घटना की सूचना मिली थी। इसके दो दिन बाद प्राथमिकी दर्ज हुई। इस मामले में कुछ गवाहों ने पुलिस को बयान दिया था कि गोदाम में आग लगाने वाली भीड़ में शिव विहार निवासी मोहम्मद शाहनवाज शामिल था। इस केस में कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली गई और कुल 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
कोर्ट इन्हें पहले ही कर चुकी आरोप मुक्त
25 अक्टूबर 2023 में आरोपों के बिंदुओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबू नगर निवासी मोहम्मद फैसल, शाहरुख, मोहम्मद शोएब उर्फ छुटवा, परवेज, मुस्तफाबाद निवासी आजाद, मोहम्मद ताहिर, चमन पार्क निवासी अशरफ, राशिद उर्फ राजा, सलमान, शक्ति विहार निवासी राशिद उर्फ मोनू और पुराना मुस्तफाबाद निवासी सोनू सैफी को आरोप मुक्त कर दिया था।
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बताया गया कि केवल मोहम्मद शाहनवाज पर आरोप तय किए गए थे। सुनवाई के दौरान ट्रायल में कोर्ट में एक गवाह मुकर गया। उसने बयान दिया कि उसने शाहनवाज को गोदाम में घुसते हुए नहीं देखा था। एफआइआर में भी आरोपी का नाम नहीं था। कोर्ट ने पाया कि गोदाम के मालिक ने किसी के बताने पर आरोपी का नाम बाद में लिया था।
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