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    1984 Sikh Riots: आंखों के सामने बेटे और पति को जिंदा जलाया, सजा मिलने पर पीड़िता दुखी; दर्दनाक है पूरी कहानी

    By Jagran News Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 25 Feb 2025 04:47 PM (IST)

    हम जानेंगे कि सिख विरोधी दंगे भड़काने से लेकर सजा पाने तक सज्जन कुमार की कहानी क्या है? इतने लंबे समय तक ये मामला कैसे लटका रहा? पीड़िता इतने लंबे समय तक किस दर्द से गुजर रही थी? और वो मदद के लिए कहां-कहां गुहार लगा रही थी। सिख विरोधी दंगों में दो सिख नागरिकों की हत्या से जुड़े मामले में सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

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    सिख विरोधी दंगे की कहानी दर्दनाक। जागरण ग्राफिक्स

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्याकांड में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ बयान दर्ज कराते समय शिकायतकर्ता महिला के आचरण पर भी गौर किया।

    अदालत ने पाया कि बयान दर्ज कराते समय महिला 1 नवंबर 1984 की घटना को याद करते हुए रो पड़ी थी। महिला ने बताया था कि उसके पति और बेटे को भीड़ ने उसकी आंखों के सामने जिंदा जला दिया था।

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    सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा

    दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। 1984 के सिख विरोधी दंगों में दो सिख नागरिकों की हत्या से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इससे पहले कोर्ट ने 25 फरवरी तक फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    41 साल बाद मिला न्याय

    अब हम जानेंगे कि सिख विरोधी दंगे भड़काने से लेकर सजा पाने तक सज्जन कुमार की कहानी क्या है? इतने लंबे समय तक ये मामला कैसे लटका रहा? पीड़िता इतने लंबे समय तक किस दर्द से गुजर रही थी? और वो मदद के लिए कहां-कहां गुहार लगा रही थी।

    पति और बेटे को बचा नहीं पाई पीड़िता

    महिला ने कहा था कि उसने अपने पति और बेटे को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह असफल रही। हालांकि, उन्हें बचाने के दौरान उसे और उसकी मां को गंभीर चोटें आईं और कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।

    दर्दनाक मंजर था

    अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष ने पीड़िता से चोटों और घटना के बारे में जिरह नहीं की। मृतक जसवंत सिंह की बेटी ने कहा कि घर में घुसी भीड़ ने कहा कि अगर महिलाएं खुद को बचा सकती हैं, तो ऐसा करें, लेकिन वे उसके पिता और भाई को नहीं छोड़ेंगे।

    न्याय के लिए भटकटी रहीं पीड़िता

    बचाव पक्ष की ओर से मामले की दोबारा जांच करने की दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि एसआईटी द्वारा की गई जांच को दोबारा जांच नहीं कहा जा सकता, बल्कि एसआईटी मामले में आगे की जांच कर रही है।

    कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी ने न केवल पीड़िता बल्कि अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए, बल्कि पीड़िता की बेटी का बयान भी पहली बार दर्ज किया। साथ ही कुछ दस्तावेजी साक्ष्य भी जुटाए। ऐसे में इसे दोबारा जांच नहीं कहा जा सकता।

    अन्य मामले में सजा काट रहे थे दोषी

    उल्लेखनीय है कि सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में 17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उस फैसले के तहत सज्जन कुमार तिहाड़ जेल में अपनी सजा काट रहे हैं।

    कैसे सिख भड़क उठे विरोधी दंगे ?

    31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। शिकायतकर्ता के अनुसार सज्जन कुमार द्वारा भीड़ को उकसाने के बाद दंगाइयों ने जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह को जिंदा जला दिया था।

    शिकायतकर्ता की शिकायत पर पंजाबी बाग थाने में दंगा, हत्या, हत्या का प्रयास समेत कई संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ली और उसके बाद मुकदमा शुरू हुआ।

    तीन बार टला था निर्णय, अब मिला न्याय

    कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में फैसला 16 दिसंबर 2024, 8 जनवरी 2025 और 31 जनवरी 2025 तक टाल दिया था। सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में बरी कर दिया गया था, जबकि दो मामलों में उन्हें दोषी ठहराया गया है। अब जाकर 1984 के सिख विरोधी दंगों में दो सिख नागरिकों की हत्या से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इससे पहले कोर्ट ने 25 फरवरी तक फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    तय किया गया था यह आरोप

    इस मामले में 16 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा का हर सदस्य समान उद्देश्य के लिए किए गए अपराध का दोषी), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 395 (डकैती) के तहत आरोप तय किए थे।

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