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    Land for Job Scam: जो पढ़-लिख नहीं सकते, उन्हें भी जमीन के बदले मिली नौकरी: सीबीआई

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 06:22 PM (IST)

    जमीन के बदले नौकरी घोटाले में सीबीआई ने अदालत को बताया कि लालू यादव के दबाव में अनपढ़ लोगों को भी नौकरी दी गई। फर्जी स्कूलों से दस्तावेज बनवाए गए थे और ये भर्तियां बिना परीक्षा के हुईं। तेजस्वी यादव के नाम पर जमीन हस्तांतरण का ब्यौरा भी दिया गया।

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    2004 से 2009 के बीच रेलवे की पश्चिम-मध्य जोन (जबलपुर) में हुई भर्तियों से जुड़ा है घोटाला।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: जमीन के बदले नौकरी घोटाले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत को बताया कि तत्कालीन रेल मंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दबाव में ऐसे लोगों को ग्रुप-डी की नौकरियां दी गईं, जो अपना नाम तक नहीं लिख सकते थे।

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    राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष सीबीआई ने दलील दी कि चयनित अभ्यर्थियों ने या तो लालू यादव, उनके परिजनों या उनसे जुड़े लोगों के नाम पर जमीन तोहफे में दीं या कम कीमत पर बेचीं।

    फर्जी स्कूलों से जारी किए गए थे अभ्यर्थियों के दस्तावेज

    सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने कहा कि नौकरी पाने वाले सभी अभ्यर्थी बिहार के बेहद गरीब तबके से थे। उनके पास जो दस्तावेज थे, वे फर्जी स्कूलों से जारी हुए थे, जिन्हें इसी मकसद से खोला गया था।

    एजेंसी ने यह भी बताया कि सामान्य प्रक्रिया में भर्ती होने में महीनों लगते हैं, लेकिन इन भर्तियों को बिना परीक्षा के एक ही दिन में मंजूरी दी गई।

    यह मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेलवे की पश्चिम-मध्य जोन (जबलपुर) में हुई भर्तियों से जुड़ा है। अदालत मामले में आगे की दलीलें अब नौ जून को सुनेगी।

    कोर्ट को दिया लालू व तेजस्वी यादव को ट्रांसफर जमीनों का ब्योरा

    सीबीआई ने अदालत को एक चार्ट भी सौंपा, जिसमें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के नाम पर ट्रांसफर हुई जमीनों का ब्योरा दिया गया।

    सीबीआई ने दलील दी कि 85 हजार की बाजार कीमत वाली जमीन सिर्फ 50 हजार में बेची में बेची गई। एजेंसी का आरोप है कि नौकरी पाने वाले पटना निवासी थे।

    उन्होंने या उनके परिजनों ने अपनी जमीनें लालू यादव के परिवार के सदस्यों या उनके द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी को दीं। उसी कंपनी ने संपत्तियों का हस्तांतरण किया।

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