नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर बीते 11 माह से दिल्ली की सीमाओं पर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान दिल्ली, हरियाणा, यूपी और पंजाब के लोगों को तमाम तरह की समस्याएं झेलनी पड़ रही है।केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की किसान संगठनों से कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है मगर उसका कोई सर्वमान्य हल नहीं निकला। फिलहाल अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान संगठनों ने इन तीन कानूनों को रद करने की मांग को लेकर एनएच पर अपनी टेंट लगा रखा है। जब आंदोलन की शुरूआत हुई उस समय किसानों की संख्या हजारों में हुआ करती थी मगर समय के साथ इनमें कमी आई मगर किसानों ने अब तक यहां से अपने टेंट नहीं उखाड़े है। ऐसे में हजारों वाहन चालकों को रोजाना समस्या हो रही है।
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26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो घटना हुई जब उसका खुलासा हुआ तो एक के बाद एक उसके तार विदेशों से भी जुड़े। किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणप्रेमी और अन्य लोगों ने समर्थन किया था। इसी कड़ी में अब इंग्लैड की सांसद क्लाउडिया वेबबे एमपी ने भी अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट ट्विटर पर देश के किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने ट्विटर हैंडल से उन्होंने ट्वीट किया है कि भारतीय कृषि अधिनियम मेहनती और भारतीय किसानों के खिलाफ है। यह आम किसानों को डराने वाला है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि कृषि अधिनियमों को निरस्त किया जाना चाहिए। मैं भारतीय किसानों के साथ खड़ी हूं। खैर उनको भारतीय कृषि कानून में हुए संशोधन की कितनी जानकारी है इसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं लिखा। उनके इस ट्वीट का किसान आइटी सेल ने धन्यवाद किया है। इसके बाद क्लाउडिया वेबबे एमपी ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा है कि भारतीय किसान वैश्विक समर्थन के पात्र हैं। न्याय के लिए उनकी आवाज को बुलंद करना हमारा कर्तव्य है।
किसान संगठन समय-समय पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं, सबसे अधिक कष्टकारी तो 26 जनवरी 2021 की घटना थी। पूरी दुनिया के दिल्ली की सड़कों पर किसान संगठनों का उत्पात देखा था। यहां तक की लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर किसानों ने राष्ट्रीय ध्वज तक को उतार दिया था। सैकड़ों पुलिसकर्मी घायल हुए थे। बीते कई दशकों में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों ने इतने लंबे समय तक चलने वाला आंदोलन देखा होगा।
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