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...तो इस बार लंका में नहीं, अब यहां होगा राम-रावण के बीच महासंग्राम

महासंग्राम के दौरान एक तरफ लक्ष्‍मण और हनुमान समर में मोर्चा संभालेंगे तो दूसरी तरफ राम समर में ही शक्‍ित की 108 नीलकमल से आराधना करेंगे।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 02:04 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 02:38 PM (IST)
...तो इस बार लंका में नहीं, अब यहां होगा राम-रावण के बीच महासंग्राम
...तो इस बार लंका में नहीं, अब यहां होगा राम-रावण के बीच महासंग्राम

नई दिल्‍ली [सुधीर कुमार पांडेय]। राम और रावण के बीच एक बार फ‍िर महासंग्राम होगा। इस बार सेनाएं लंका में नहीं प्रयागराज में भ्‍ािड़ेंगी। एक समय ऐसा आएगा जब राम को लगेगा कि विजयी होना मुश्किल है, लेकिन वह परास्‍त नहीं होंगे। रावण शक्‍ित को वश में कर राम और वानर सेना पर तीक्ष्‍ण बाण छोड़ेगा तो राम भी अपने तरकश से इन बाणों को नष्‍ट कर जवाब देंगे। वे तरकश से ऐसे दिव्‍य तीर निकालेंगे जिनसे रावण सेना भयभीत होगी। रवि के अस्‍त होने पर लगेगा कि यह समर अपराजेय ही रहेगा, क्‍योंकि रावण परास्‍त होने का नाम नहीं लेगा। उसके प्रहार से सुग्रीव, अंगद, गवाक्ष, नल आदि वीर वानर मूर्छित होंगे। राक्षस सेना से दो-दो हाथ करेंगे तो केवल वीर हनुमान और लक्ष्‍मण। रावण को हारता न देख ज्ञानी जामवंत राम को शक्‍ित की पूजा करने का सुझाव देंगे।

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एक तरफ लक्ष्‍मण और हनुमान समर में मोर्चा संभालेंगे तो दूसरी तरफ राम समर में ही शक्‍ित की 108 नीलकमल से आराधना करेंगे। पूजा के समय शक्‍ित राम की परीक्षा लेने के लिए जब चुपके से एक नीलकमल गायब कर देंगी तो राम विह़वल होते भी दिखेंगे। उनके अंदर निराशा आएगी, लेकिन अगले ही पल राजीव नयन अपना नेत्र शक्‍ित को अर्पित करने के लिए बाण उठाएंगे। तभी शक्‍ित पुरुषोत्‍तम को विजयी होने का आर्शीवाद देंगी और इसके बाद रावण परास्‍त होगा। ये राम हैं निराला के। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के। जो अपना जन्‍म दिन वसंत पंचमी को ही मनाते थे। जिनके अंदर विरुद्धों का सामंजस्‍य था। काल के पार देखने में सक्षम महाप्राण निराला की कालजयी रचना राम की शक्‍ित पूजा का मंचन प्रयागराज में निराला को जीने वाले रंगकर्मी व्‍योमेश शुक्‍ल के निर्देशन में होगा।

निराला को जीना आसान नहीं
निराला ने जीवन में बहुत दुख झेले। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। बचपन में मां को, युवावस्‍था में पिता को खो दिया। पत्‍नी की मौत के बाद बेटी का पालन पोषण किया। बेटी की भी असमय मृत्‍यु हो गई। मूल रूप से उत्‍तर प्रदेश के उन्‍नाव के रहने वाले निराला ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। संघर्षो की सुनामी भी उनके पैर नहीं डिगा सकी। उनकी रचना राम की शक्‍ित पूजा में वह नायक की तरह दिखते हैं। उनकी रचना सरोज स्‍मृति भी काफी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि सूरदास के बाद निराला ने ही वात्‍सल्‍य का उतना ही सुंदर वर्णन सरोज स्‍मृति में किया है। निराल को जीना आसान नहीं है। निराला के रचना संसार में उतरने के लिए निराला बनना पड़ता है। उन्‍हें आत्‍मसात करना पड़ता है।

निराला और उनकी रचना राम की शक्‍ित पूजा को आत्‍मसात किया है व्‍योमेश शुक्‍ला ने, जिनके निर्देशन में हाल ही में नोएडा में चित्रकूट नाटक का मंचन हुआ था। बनारस के रहने वाले व्‍योमेश ने वर्ष 2013 से कालजयी कविता राम की शक्‍ित पूजा का मंचन कर रहे हैं। अब तक पचास से ज्‍यादा बार मंचन कर चुके हैं। 22 फरवरी को वह प्रयागराज कुंभ (सेक्टर 13, सरस्वती मंच) में शाम छह बजे से इसका मंचन करेंगे।

भारतीय संस्‍कृति की ध्‍वजा फहरा रहे व्‍योमेश राम की शक्‍ित पूजा के बिना जीवन की कल्‍पना ही नहीं करते हैं। वह बताते हैं कि सातवें दशक की शुरुआत में मां डॉ शकुंतला शुक्‍ल ने महाकवि निराला की कव‍िता पर शोध किया था। बचपन से ही मां मुझे यह कव‍िता याद कराने लगीं। मुझे कविता की लाइनें याद कर लेने पर इनाम मिलता था और न याद करने पर सजा। इस कविता के साथ मेरे जीवन के कई बरस बीत गए। एक दिन अचानक मन में आया कि इस कविता का नाट्य मंचन किया जाए। मैंने मां से आग्रह किया तो उन्‍होंने आधे घंटे में नाट्य लेख तैयार कर दिया। इसका संगीत तैयार करने के लिए एक टीम बनी, जिसमें मैं, मां, बनारस घराने के युवा गायक आशीष मिश्र व हमारे पुराने संगीत निर्देशक जेपी शर्मा इसमें शामिल हुए। इसके बाद रूपवाणी के जरिये रिहर्सल का सिलसिला शुरू हुआ जो वर्ष 2013 से अनवरत जारी है।

लड़कियां निभाती हैं प्रमुख भूमिका
राम की शक्‍ित पूजा नाटक में राम, लक्ष्‍मण, हनुमान व विभीषण की भूमिका लड़कियां निभाती हैं। पांच साल पहले हुई शुरुआत से इसकी टीम बदली नहीं है। प्रथम मंचन से जुड़े कलाकार आज भी साथ हैं। राम की शक्‍ित पूजा का पहला मंचन नागरी नाटक मंडली, बनारस में वर्ष 2013 में और पचासवां मंचन गत वर्ष दिल्‍ली में अक्‍टूबर में कमानी आडिटोरिम में हुआ था। भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद द्वारा आयोजित इंटरनेशनल रामायण फेस्टिवल में इस नाटक ने भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था।

यह है कलाकारों की टीम
राम-स्‍वाति
सीता और देवी - नंदिनी
लक्ष्‍मण - काजोल
हनुमान - तापस
विभीषण -वंशिका
जामवंत - जय
बाल हनुमान - साखी
युथपति - विशाल
सेनापति - आकाश
सुग्रीव -आकाश देववंशी
अंगद-अश्‍विनी
प्रकाश परिकल्‍पना- धीरेंद्र मोहन
मार्गदर्शन - जितेंद्र मोहन
मंच सहकार - दीपक

1936 में लिखी गई थी कालजयी रचना
व्‍योमेश कहते हैं कि 1936 में लिखे जाने के बाद से आज तक राम की शक्‍ित पूजा हिंदी साहित्‍य के केंद्र में आसीन है। यह काव्‍यकृति भगवान राम के जीवन समर के जरिये आज के मनुष्‍य के तकलीफों की कहानी कहती है। हमारी संस्‍था रूपवाणी ने अपनी इस प्रस्‍तुति में बनारस की प्राचीन रामलीला के अनेक तत्‍वों का विन्‍यास किया है। इसके साथ साथ हमने छऊ, भरतनाट़यम और कथक के सम्मिश्रण से इस प्रस्‍तुति का आंगिक तैयार किया है। शक्‍ितपूजा का पार्श्‍वसंगीत बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत से निबद्ध है। शक्‍ितपूजा हम लोगों का सर्वाधिक जनप्रिय और महत्‍वाकांक्ष्‍ाी प्रयास है। दिल्‍ली इंटरनेशनल आर्ट फेयर, संकट मोचन संगीत समारोह, ताज महोत्‍सव, आगरा, राजभवन,पश्चिम बंगाल, कोलकाता, संभागीय नाट़य समारोह, उत्‍तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, इंदिरा गांधी राष्‍टृीय कला केंद्र, नई दिल्‍ली, उत्‍तर मध्‍य क्षेतर सांस्‍कृतिक केंद्र, इलाहाबाद, महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍टृीय हिंदी विश्‍वविद्वालय वर्धा और भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद समेत देश के कई महत्‍वपूर्ण कलाकेंद्रों में हम इसे पचास से ज्‍यादा बार प्रस्‍तुत कर चुके हैं। प्रस्‍तुति की अवधि पचास मिनट है और हमारी टीम कुल मिलाकर 15 लोगों की है। 


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