दिल्ली के इस अस्पताल में महिलाओं को शर्मनाक स्थिति का करना पड़ता है सामना
एक महिला मरीज ने बताया कि उनके पेट में तेज दर्द था। वह आपातकालीन विभाग में पहुंची तो उन्हें इंजेक्शन लगवाने के लिए भेज दिया गया।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। पूर्वी नगर निगम में महिला महापौर है। इसके बावजूद इसी निगम के सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र स्वामी दयानंद अस्पताल में हर दिन महिलाओं की अस्मिता तार-तार होती है। नर्सिंग स्टाफ के अलावा मरीज और तीमारदारो से भरे आपातकालीन विभाग में महिलाओं को इंजेक्शन लगाने के लिए परदे (पेशेट स्क्रीन) तक नहीं हैं। बिना परदा लगाए इंजेक्शन लगवाने में महिलाओं को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। कई महिलाएं इसका विरोध भी करती हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर अपनी असमर्थता जाहिर करते हुए पल्ला झाड़ लेते है।
हाल ही में आपातकालीन विभाग में एक महिला ने खुले में इंजेक्शन लगवाने से मना कर दिया। डॉक्टर से शिकायत की तो जवाब मिला कि यहां सभी लोग इसी तरह इंजेक्शन लगवाते हैं। बाद में महिला इंजेक्शन लगवाए बिना ही लौट गई। इसी तरह कई अन्य महिलाओं ने भी शिकायत थी।
शर्मनाक स्थिति का करना पड़ता है सामना
एक महिला मरीज ने बताया कि उनके पेट में तेज दर्द था। वह आपातकालीन विभाग में पहुंची तो उन्हें इंजेक्शन लगवाने के लिए भेज दिया गया। जहां इंजेक्शन लगाया जा रहा था, वहां एक ही बिस्तर था। उसी पर पुरुष और महिला मरीजों को इंजेक्शन लगाए जा रहे थे। नर्सिंग के पुरुष स्टाफ भी वहीं थे और मरीज व तीमारदार भी मौजूद थे। दर्द ज्यादा था, इसलिए ऐसे हालात में भी इंजेक्शन लगवा लिया, लेकिन यह उनके लिए काफी शर्मनाक स्थिति थी। इस संबंध में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एमएल जयपाल से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
डॉक्टर रूम में परदा पर भीड़भाड़ वाली जगह पर नहीं
अस्पताल में कई मरीजों को शरीर के संवेदनशील जगहों पर इंजेक्शन लगाया जाता है। इसलिए अन्य अस्पतालों में परदा लगाया जाता है। स्वामी दयानंद अस्पताल के आपातकालीन विभाग में डॉक्टर के कमरे में परदा है। उन्हें जब महिला मरीज का चेकअप करना होता है तो एक महिला गार्ड की उपस्थिति में परदा लगाकर चेक किया जाता है, लेकिन जहां भीड़भाड़ है, वहां इसकी व्यवस्था नहीं है। महिला मरीजों ने बताया कि जिस बिस्तर पर इंजेक्शन लगाए जाते हैं, उसपर चादर तक नहीं बिछाई जाती है।
अव्यवस्था के साथ-साथ लापरवाही भी कम नहीं
आपातकालीन विभाग में अव्यवस्था के साथ-साथ लापरवाही भी कम नहीं है। यहां एक समय ड्यूटी पर पांच से छह नर्सिंग स्टाफ मौजूद होते हैं, लेकिन एक ही नर्स इंजेक्शन लगाती है। मरीजों ने बताया कि महिला नर्स के हाथ में ग्लब्स भी नहीं होता है। यह स्वास्थ्य नियमों का उल्लंघन तो है ही, नर्स और मरीज के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी है।
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