जानिए- दिल्ली-NCR में कब कम होगा प्रदूषण का असर, फिर से मिलने लगेगी साफ हवा
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी सेवा सफर के एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों के मुताबिक दिवाली पर सबसे प्रदूषित क्षेत्र दिल्ली विश्वविद्यालय रहा।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Pollution in Delhi and NCR: बेशक इस दिवाली दिल्ली-एनसीआर की हवा बहुत खराब श्रेणी में ही रही और खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंची, लेकिन सांस लेने लायक हवा के लिए अभी चार दिन का इंतजार करना होगा। तब तक हवा बहुत खराब ही रहेगी। वहीं, मंगलवार को पराली के धुएं का असर बढ़ने से एयर इंडेक्स में और भी इजाफा हो सकता है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी सेवा सफर के एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों के मुताबिक, दिवाली पर सबसे प्रदूषित क्षेत्र दिल्ली विश्वविद्यालय रहा। नोएडा दूसरे जबकि गुरुग्राम का नंबर तीसरा रहा। रात तकरीबन एक बजे पीएम 2.5 का स्तर सबसे अधिक रहा, लेकिन पिछले तीन सालों की तुलना में यह काफी कम रहा। इसकी मुख्य वजह हवा की गति अच्छी होना रहा। लिहाजा, पटाखों से निकला धुआं तेजी से छंटा। हवाओं का रुख भी चूंकि उत्तर पश्चिमी था, इसलिए पराली का धुआं बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर सका।
यहां जानिए- कुछ अहम तथ्य
- पिछले साल पीएम 2.5 के मामले में सबसे अधिक खराब स्टेशन अशोक विहार रहा था जहां इसका औसत स्तर 1252 एमजीसीएम था, इस साल अशोक विहार में 50 जबकि विवेक विहार में 20 फीसद की गिरावट आई है।
- सल्फर डाईऑक्साइड (एसओ-टू) सभी जगह तय मानकों में रहा। मंदिर मार्ग में इसकी मात्रा सबसे कम 1.76 और जहांगीरपुरी में सबसे अधिक 41.48 दर्ज की गई।
- कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर भी इस बार तय मानकों में रहा। रात 12 बजे इसका स्तर 2.58 दर्ज हुआ जबकि 2018 में इसकी मात्रा 3.60 रहा। ’पीएम 2.5 की मात्रा सबसे कम शाम 4 बजे और सबसे अधिक रात 12 बजे रही।
- सबसे कम प्रदूषित एरिया नजफगढ़ रहा जहां पीएम 2.5 का स्तर 168 और सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र विवेक विहार रहा जहां पीएम 2.5 का स्तर 687 एमजीसीएम रहा।
- पीएम 10 का स्तर सबसे कम नजफगढ़ में महज 242 एमजीसीएम रहा जबकि सबसे अधिक विवेक विहार में 856 एमजीसीएम रहा।
- नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा दिल्ली में 21.58 से 70.34 एमजीसीएम तक रही। विवेक विहार में सबसे कम 11.65 और आनंद विहार में सबसे अधिक 109.33 एमजीसीएम दर्ज हुई।
पीएम के स्तर में दर्ज की गई 30 फीसद की गिरावट
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दावा किया है कि आतिशबाजी कम चलने, लगातार गश्त होने और उकसाने वालों पर अंकुश लगाने जैसे उपायों के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दिवाली में पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में भी तीस फीसद की गिरावट दर्ज की गई ।
डीपीसीसी ने कहा कि दिल्ली में खतरनाक पीएम-10 और पीएम-2.5 कणों के उत्सर्जन में 20 से 50 फीसद की कमी आई जो इस बात का संकेत है कि पिछले सालों की तुलना में इस बार दिवाली पर वायु गुणवत्ता अच्छी थी।
डीपीसीसी ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि पीएम 2.5 का शीर्ष स्तर रविवार की आधी रात 1070 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। पिछले साल दिवाली के बाद यह 1560 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। यानी इस बार पिछले साल की तुलना में पीएम 2.5 के उत्सर्जन में 30 फीसद की कमी देखी गई। पीएम 2.5 ढाई माइक्रोन या उससे कम के व्यास वाला ऐसा सूक्ष्म कण होता है जो फेफड़े और यहां तक कि रक्त तक पहुंच सकता है।
पीएम 10 का शीर्ष स्तर पिछले साल 1859 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था जो इस बार 30 फीसद घटकर 1391 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रह गया। इस वर्ष सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की सांद्रता भी सभी मापन केंद्रों पर मान्य स्तर के अंदर ही थी।
डीपीसीसी ने कहा कि 80 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के मान्य स्तर के हिसाब से सल्फर डाईऑक्साइड की सांद्रता मंदिर मार्ग पर 1.76 और जहांगीरपुरी में 41.48 रही जो असुरक्षित स्तर से काफी नीचे है। डीपीसीसी ने कहा कि पीएम 2.5, सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड में करीब 30 फीसद की अहम गिरावट दर्शाता है कि लोगों ने इस साल कम पटाखे जलाए और उन्होंने स्थिति में सुधार में योगदान दिया।
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