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    राजनीतिक विरोधी भी थे शीला दीक्षित की शालीनता के मुरीद, कई नेताओं से थे व्यक्तिगत संबंध

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Sun, 21 Jul 2019 08:04 AM (IST)

    Sheila Dikshit passes away कटुता की राजनीति से दूर शीला दीक्षित शालीन और मधुर व्यवहार वाली नेता के तौर पर पहचानी जाती थीं। ...और पढ़ें

    राजनीतिक विरोधी भी थे शीला दीक्षित की शालीनता के मुरीद, कई नेताओं से थे व्यक्तिगत संबंध

    नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित दिल्ली में विकास की राजनीति का चेहरा होने के साथ ही अपनी सौम्यता के लिए भी याद की जाएंगी। कटुता की राजनीति से दूर वह शालीन व मधुर व्यवहार वाली नेता के तौर पर पहचानी जाती थीं।

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    चुनावी राजनीति में भी कटुता व व्यक्तिगत दोषारोपण से दूर रहती थीं जिसकी झलक इस लोकसभा चुनाव में देखने को मिली। कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतारा था। चुनाव प्रचार में जहां दिल्ली के अन्य सीटों पर आरोप-प्रत्यारोप, व्यक्तिगत आक्षेप व अमर्यादित टिप्पणी का शोर था वहीं, शीला दीक्षित इनसे दूर रहकर विचारधारा, विकास व नीतियों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ीं। उनके व्यक्तित्व का ही असर था कि चुनाव खत्म होते ही तिवारी उनसे मिलने उनके घर पहुंच गए और उन्होंने भी खुले दिल से उनका स्वागत किया।

    शीला दीक्षित को याद करते हुए मनोज तिवारी कहते हैं जब ‘मैं उनसे मिलने गया तो उन्होंने बेटे की तरह स्वागत किया और आशीर्वाद दिया था। उनमें मैं राजनेता के साथ ही माता की ममता देखता था।’ दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा़ कहते हैं ‘मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाते हुए शीला दीक्षित प्रशासकीय कार्यो में विपक्ष को हमेशा साथ लेकर चलने का प्रयास करती थीं। वह राजनीतिक द्वेष की जगह संबंधों को तरजीह देती थीं।

    विजय कुमार मल्होत्रा़ ने कहा कि कई बार विपक्ष उनकी कटु आलोचना करता था और सदन नहीं चलने देता था। इसके बावजूद उन्होंने कभी व्यक्तिगत संबंध खराब नहीं होने दिया। कुछ दिन पहले मेरी उनसे बात हुई थी। जब उनसे इस उम्र में चुनाव लड़ने के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि उन्हें कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है, इसलिए वह पार्टी के प्रत्येक आदेश मानने को तत्पर रहती हैं।

    दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने उनके निधन को अपने लिए व्यक्तिगत क्षति बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के विकास में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उनके काम करने के तरीके से दिल्ली के लाखों लोग प्रभावित थे।

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