Amrapali Case: जानें कैसे मामूली पूंजी से अरबपति बना दिल्ली में नौकरी करने वाला अनिल शर्मा
2002 में बिहार से दिल्ली आए अनिल ने पहले दिल्ली में नौकरी की और फिर रियल एस्टेट में पैर पसारे।
नोएडा [कुंदन तिवारी]। निवेशकों की पूंजी से अरबपति बने आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा ने महज 521 करोड़ रुपये खर्च कर नोएडा में बेशकीमती 536000 वर्ग मीटर जमीन हासिल की थी। 2002 में बिहार से दिल्ली आए अनिल ने पहले दिल्ली में नौकरी की और फिर रियल एस्टेट में पैर पसारे।
मेरा घर मेरा अधिकार स्लोगन के साथ आम्रपाली एक्जाटिका नाम से पहला प्रोजेक्ट नोएडा में लांच किया। तत्कालीन बसपा सरकार में नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात बिहार कैडर के कई आइएएस अधिकारियों से नजदीकी का फायदा उठाकर उसने प्राधिकरण में पैठ बनाई और फिर करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम खरीद ली।
आज भी नोएडा विकास प्राधिकरण के करीब 2200 करोड़ रुपये का आम्रपाली ग्रुप पर बकाया है। अब आनंद प्रकरण के बाद प्राधिकरण में हुए भूखंड आवंटन घोटाले की परतें खुल रही हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आम्रपाली ग्रुप की फाइलें भी बाहर आ गई हैं।
तीन साल में नौ परियोजनाओं के लिए भूखंड आवंटन
आम्रपाली ग्रुप ने नोएडा विकास प्राधिकरण में 2007 में प्रवेश किया। तीन साल बाद 2010 में समूह को नोएडा में नौ परियोजनाओं के लिए भूखंड आवंटन हुआ। आवंटन के नाम पर प्राधिकरण को महज 521 करोड़ रुपये की रकम हासिल हुई, लेकिन सरकार की मेहरबानी से उसे 5,36000 वर्ग मीटर जमीन आवंटित कर दी गई।
सेक्टर-119 में पटेल प्लेटिनम प्रोजेक्ट लेकर आया। करीब 55 हजार वर्गमीटर जमीन पर प्रोजेक्ट बनाया गया। इस पर प्राधिकरण का 200 करोड़ रुपये बकाया है। आज दस वर्ष बाद जहां 45 हजार निवेशक सड़क पर आशियाना हासिल करने के लिए भटक रहे हैं। वहीं नोएडा प्राधिकरण भी अपना करीब 2200 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया वसूलने की जुगत में जुटा है। इसे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी है।
बसपा सरकार के समय ही हुआ सभी भूखंडों का आवंटन
आम्रपाली की सभी परियोजनाओं के लिए जमीन का आवंटन बसपा शासनकाल में हुआ। उस दौरान ही भू-आवंटन की नीतियों में भी बदलाव किया गया। इससे पहले भूखंड आवंटन के दौरान आवंटी को जमीन की कुल लागत का 30 प्रतिशत देना होता था। इसे बदल दिया गया। भू- आवंटन की रकम को 10 फीसद कर बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। इसका फायदा आम्रपाली समूह ने उठाया। तीन साल में नौ परियोजनाओं को लांच कर बुकिंग के नाम पर कई हजार करोड़ रुपये डकार लिए। कुछ किस्तें जमा कर प्राधिकरण को बकाया राशि जमा करना बंद कर दिया।