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    नाबालिग पहलवान सागर धनखड़ हत्याकांड में आरोपित प्रवीन डबास को मिली अंतरिम जमानत, किडनी की बीमारी से जूझ रहा डबास

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 03:00 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 2021 के सागर धनखड़ हत्याकांड में आरोपी प्रवीन डबास को स्वास्थ्य कारणों से दो सप्ताह की जमानत दी है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने यह फैसला डबास की गंभीर किडनी बीमारी और सांस लेने में तकलीफ को देखते हुए सुनाया। अदालत ने 25 हजार रुपये की जमानत राशि पर रिहाई का आदेश दिया। राज्य सरकार ने जमानत का विरोध किया था।

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    सागर धनखड़ हत्याकांड में आरोपित प्रवीन डबास को दो हफ्ते की अंतरिम जमानत मिली

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2021 में हुए नाबालिग पहलवान सागर धनखड़ हत्याकांड में आरोपित प्रवीन डबास को चिकित्सा आधार पर दो सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी है। इस मामले में ओलिंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार भी आरोपित हैं। यह प्राथमिकी माडल टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी।

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    न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को उसकी चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए दो सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है।

    अदालत ने आरोपित को 25 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि की दो जमानती पर रिहा कर दिया।

    कोर्ट ने जेल अधीक्षक की 18 जून की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह राहत दी, जिसमें कहा गया था कि डबास गंभीर किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं और सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलाजिस्ट की देखरेख में इलाज चल रहा है।

    रिपोर्ट में यह भी उल्लेख था कि उन्हें टीबी के इलाज के बाद से अस्थमा की शिकायत है और सांस लेने में तकलीफ बनी रहती है।

    कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि जेल अस्पताल द्वारा दिए जा रहे इलाज के बावजूद डबास की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है और यह उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर रही है।

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    इससे पहले, हाईकोर्ट ने दो जून को जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि डबास को नियमित और उचित इलाज दिया जाए, जिसमें एमआइआइ स्कैन भी शामिल है।

    डबास के अधिवक्ता सुमीत शौकीन ने कोर्ट में दलील दी कि जेल में मिलने वाले इलाज से उनके मुवक्किल को पर्याप्त राहत नहीं मिल रही और उनकी गंभीर बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में ही संभव है। उन्होंने आठ हफ्तों की अंतरिम जमानत की मांग की थी।

    हालांकि, राज्य सरकार और मृतक के पिता की ओर से पेश अधिवक्ता जोशिनी तुली ने इसका विरोध किया और कहा कि जेल में ही इलाज संभव है।

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